लाइफ स्टाइल Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/category/lifestyle National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal Tue, 27 May 2025 05:50:29 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.1 https://vishwavarta.com/wp-content/uploads/2023/08/Vishwavarta-Logo-150x150.png लाइफ स्टाइल Archives - Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper https://vishwavarta.com/category/lifestyle 32 32 मारुति-सुजुकी की कहानी: कैसे बना भारत का सबसे भरोसेमंद कार ब्रांड https://vishwavarta.com/maruti-suzuki-ka-vikas/120171 Tue, 27 May 2025 05:50:05 +0000 https://vishwavarta.com/?p=120171 इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में मारुति-सुजुकी की रणनीति: देर से शुरुआत, लेकिन बड़ी तैयारी मारुति-सुजुकी भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी रही है, लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) की दौड़ में यह कंपनी कुछ सालों तक चुपचाप रही। जब टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियाँ अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ भारतीय बाजार में तेज़ी से आगे बढ़ …

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इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में मारुति-सुजुकी की रणनीति: देर से शुरुआत, लेकिन बड़ी तैयारी

मारुति-सुजुकी भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी रही है, लेकिन इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) की दौड़ में यह कंपनी कुछ सालों तक चुपचाप रही। जब टाटा मोटर्स और महिंद्रा जैसी कंपनियाँ अपने इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ भारतीय बाजार में तेज़ी से आगे बढ़ रहीं थीं, तब मारुति ने ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति अपनाई। परंतु अब 2025 के बाद की योजना को देखकर यह स्पष्ट है कि कंपनी ने EV सेगमेंट में उतरने की मजबूत और दीर्घकालिक तैयारी कर ली है।

EV सेगमेंट में देरी क्यों?

मारुति-सुजुकी ने EV सेगमेंट में देरी क्यों की? इसका उत्तर कई परतों में छिपा है:

  • कॉस्ट-एफिशिएंसी पर जोर: मारुति की पहचान एक किफायती और भरोसेमंद ब्रांड के रूप में है। भारत जैसे मूल्य-संवेदनशील बाजार में EV तकनीक अभी भी महंगी है — चाहे वह बैटरी हो, या चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर। ऐसे में कंपनी ने पहले EV टेक्नोलॉजी को और किफायती बनने का इंतज़ार किया।
  • चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: कंपनी का मानना था कि जब तक भारत में पर्याप्त चार्जिंग स्टेशन नहीं होंगे, तब तक EV का व्यापक इस्तेमाल संभव नहीं है।
  • ग्राहकों की मानसिकता: आम भारतीय ग्राहक पेट्रोल-डीजल वाहनों की तुलना में EV को लेकर अनिश्चित हैं — चाहे वह ड्राइविंग रेंज हो, चार्जिंग टाइम या रीसेल वैल्यू।

अब क्यों हो रही है तेज़ी?

मारुति-सुजुकी ने अब EV योजना को लेकर आक्रामक रुख अपनाया है:

  • 2025 में पहला इलेक्ट्रिक मॉडल: कंपनी का पहला पूर्ण इलेक्ट्रिक वाहन — कोडनेम “eVX” — 2025 में लॉन्च होगा। इसे Auto Expo 2023 में शोकेस किया गया था और इसके डिजाइन व रेंज को लेकर काफी सकारात्मक प्रतिक्रियाएं मिली थीं।
  • रेंज और फीचर्स: eVX की अनुमानित रेंज लगभग 550 किलोमीटर होगी, जो इसे भारतीय बाजार में सबसे लंबी रेंज वाली EV में से एक बनाएगी। इसमें एडवांस्ड सेफ्टी फीचर्स, कनेक्टेड कार टेक्नोलॉजी और फास्ट चार्जिंग सपोर्ट होगा।

जापान और भारत की टेक्नोलॉजी साझेदारी

सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन और टोयोटा मोटर कॉर्पोरेशन के बीच हुई तकनीकी साझेदारी के चलते मारुति को अत्याधुनिक इलेक्ट्रिक वाहन तकनीक का लाभ मिलेगा। दोनों कंपनियाँ बैटरी टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रिक ड्राइवट्रेन और हाइब्रिड सिस्टम पर मिलकर काम कर रही हैं।

  • बैटरी निर्माण संयंत्र: गुजरात के हंसलपुर में सुजुकी और टोयोटा मिलकर लिथियम-आयन बैटरी प्लांट स्थापित कर रहे हैं। यह संयंत्र भारत में EV निर्माण की आत्मनिर्भरता के लिए बड़ा कदम होगा।
  • हाइब्रिड से EV की ओर संक्रमण: मारुति पहले मजबूत हाइब्रिड सिस्टम्स को बढ़ावा दे रही है ताकि ग्राहक धीरे-धीरे ICE (Internal Combustion Engine) से EV तक का रास्ता सहजता से तय कर सकें।

EV के लिए 10,000 करोड़ रुपये का निवेश

मारुति-सुजुकी और सुजुकी मोटर ने मिलकर भारत में EV निर्माण, रिसर्च और सप्लाई चेन विकास के लिए ₹10,000 करोड़ का निवेश घोषित किया है। इस निवेश का उद्देश्य है:

  • eVX समेत कई इलेक्ट्रिक मॉडल्स की लाइनअप तैयार करना
  • बैटरी रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग को लोकल बनाना
  • चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए टाई-अप्स करना
  • EV टेक्नोलॉजी में स्थानीय इंजीनियरिंग प्रतिभा को शामिल करना

भविष्य की EV लाइनअप और बाजार रणनीति

eVX के बाद कंपनी की योजना है कि 2030 तक भारत में कम से कम 6 नए EV मॉडल लॉन्च किए जाएं। ये सभी मॉडल विभिन्न सेगमेंट में होंगे — हैचबैक, SUV, MPV और सिटी कार्स।

  • फोकस मिड-सेगमेंट पर: मारुति का उद्देश्य ₹8 लाख से ₹18 लाख तक की कीमत वाले EV पेश करना है, जो भारत के मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर बनाए जाएंगे।
  • सेगमेंट वार रणनीति: कंपनी पहले शहरों और टियर-1 शहरों में EV लॉन्च करेगी, जहां चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहतर है और ग्राहक तकनीकी नवाचार को आसानी से स्वीकार करते हैं।

टाटा, महिंद्रा से प्रतिस्पर्धा कैसे?

टाटा मोटर्स इस समय भारत में EV बाजार की सबसे बड़ी खिलाड़ी है। उसके पास पहले से Nexon EV, Tiago EV जैसे उत्पाद हैं। महिंद्रा भी XUV400 जैसे मॉडलों से मैदान में है। ऐसे में मारुति की रणनीति यह होगी:

  • टेक्नोलॉजी में बेहतर रेंज और बैटरी लाइफ देना
  • कीमत को प्रतिस्पर्धी रखना
  • अपनी बिक्री नेटवर्क (26,000+ टचपॉइंट्स) के माध्यम से EVs को छोटे शहरों तक पहुंचाना

उपसंहार: तैयार है भारत की EV क्रांति का नया नेता?

हालांकि मारुति-सुजुकी ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की दौड़ में देर से प्रवेश किया है, लेकिन उसकी रणनीति योजनाबद्ध, संसाधन-संपन्न और दीर्घकालिक सोच वाली है। अगर कंपनी अपनी योजना के अनुसार उत्पाद, मूल्य और तकनीक को संतुलित रखती है, तो आने वाले वर्षों में यह EV मार्केट में भी उसी तरह का दबदबा बना सकती है जैसा उसने पेट्रोल-डीजल वाहनों में बनाया।

1. स्थापना: जब सरकार ने बनाई कार कंपनी

मारुति-सुजुकी की शुरुआत वर्ष 1981 में “मारुति उद्योग लिमिटेड” के रूप में हुई। भारत सरकार ने इसे एक सार्वजनिक उपक्रम के तौर पर स्थापित किया ताकि आम लोगों के लिए सस्ती और भरोसेमंद कारें उपलब्ध कराई जा सकें। उस समय भारतीय सड़कों पर विदेशी कंपनियों की पुरानी तकनीक वाली महंगी कारें चलती थीं। सरकार को एक ऐसी कंपनी चाहिए थी जो देश के आम नागरिक को ‘ड्रीम कार’ दे सके।

मारुति का पहला मॉडल – Maruti 800 – भारतीय मध्यवर्ग की पहली पसंद बन गई। यह कार 1983 में लॉन्च हुई और उसने भारतीय कार उद्योग में क्रांति ला दी। छोटे आकार, कम कीमत और अच्छे माइलेज के कारण यह हर घर की पहली कार बनी।

मुख्य विशेषताएं:

  • निर्माण का प्रारंभ: 1981
  • पहली कार: Maruti 800 (1983)
  • उद्देश्य: किफायती कार हर भारतीय के लिए
  • मालिक: भारत सरकार (शुरुआत में 100%)

इस दौर में मारुति के पास तकनीकी ज्ञान और डिज़ाइन अनुभव की कमी थी। यही वजह थी कि 1982 में भारत सरकार ने जापानी ऑटोमोबाइल कंपनी सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के साथ साझेदारी की।

2. साझेदारी: जब सुजुकी बनी भागीदार

भारत सरकार और सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के बीच 1982 में करार हुआ। सुजुकी ने तकनीकी सहायता के बदले मारुति में 26% हिस्सेदारी ली। समय के साथ यह हिस्सेदारी बढ़ती गई और वर्ष 2007 तक सुजुकी, मारुति की बहुलांश हिस्सेदार बन गई।

साझेदारी का महत्व:

  • जापानी तकनीक का प्रवेश
  • गुणवत्ता में सुधार
  • उत्पादन प्रक्रिया में विश्वस्तरीय मानक
  • निर्यात की शुरुआत

सुजुकी के अनुभव और मारुति की भारतीय बाजार की समझ ने इस साझेदारी को सफल बनाया। नई कारों की रेंज, बेहतर माइलेज और संतुलित कीमत ने कंपनी को सफलता की ऊंचाईयों पर पहुंचाया।

3. प्रोडक्शन और प्लांट्स: कैसे बनती हैं लाखों कारें

मारुति-सुजुकी के भारत में कई बड़े उत्पादन केंद्र हैं। सबसे बड़ा और पहला प्लांट हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित है। इसके अलावा मानेसर और गुजरात के हंसलपुर में अत्याधुनिक प्लांट्स हैं।

प्रमुख उत्पादन केंद्र:

  • गुरुग्राम: पहला और ऐतिहासिक प्लांट
  • मानेसर: तकनीकी रूप से उन्नत प्लांट
  • गुजरात: इलेक्ट्रिक और एक्सपोर्ट पर फोकस

हर प्लांट में लाखों यूनिट्स का उत्पादन होता है। कंपनी प्रति वर्ष 20 लाख से अधिक गाड़ियाँ बनाती है। भारत के अलावा, मारुति की गाड़ियाँ 100 से अधिक देशों में निर्यात होती हैं।

प्रोडक्शन में ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और लेन मैनेजमेंट जैसे इनोवेशन से कंपनी लगातार गुणवत्ता और स्पीड में सुधार कर रही है।

4. मॉडल्स और पोर्टफोलियो: हर वर्ग के लिए कार

मारुति-सुजुकी के पास भारत में सबसे बड़ा कार पोर्टफोलियो है। कंपनी की गाड़ियाँ लगभग हर सेगमेंट में उपलब्ध हैं – हैचबैक, सेडान, एसयूवी, एमपीवी आदि।

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योग साधना से बनेगा भारत विश्वगुरु https://vishwavarta.com/yog-shivir-raebareli/120141 Sat, 24 May 2025 11:31:18 +0000 https://vishwavarta.com/?p=120141 रायबरेली में योग शिविर रायबरेली के तहत मातृभूमि सेवा मिशन इकाई द्वारा प्रतिदिन सुबह 5 से 7 बजे तक निःशुल्क योग सत्र का आयोजन किया जा रहा है। यह शिविर राना बेनी माधव बक्स सिंह पार्क, शहीद स्मारक परिसर में आयोजित होता है। इस पहल का उद्देश्य योग के माध्यम से भारत को फिर से …

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रायबरेली में योग शिविर रायबरेली के तहत मातृभूमि सेवा मिशन इकाई द्वारा प्रतिदिन सुबह 5 से 7 बजे तक निःशुल्क योग सत्र का आयोजन किया जा रहा है। यह शिविर राना बेनी माधव बक्स सिंह पार्क, शहीद स्मारक परिसर में आयोजित होता है। इस पहल का उद्देश्य योग के माध्यम से भारत को फिर से विश्वगुरु बनाना है।

योग का शाब्दिक अर्थ है—जुड़ना। यह केवल शरीर की कसरत नहीं, बल्कि आत्मा और परमात्मा के मिलन का मार्ग है। योग वह साधना है जो व्यक्ति को ईश्वर से जोड़ती है, और जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन व स्थिरता लाती है।

योग के लाभ बहुआयामी हैं—यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है, बल्कि मानसिक संतुलन और बौद्धिक क्षमता में भी वृद्धि लाता है। बच्चे हों या बुजुर्ग, विद्यार्थी हों या पेशेवर, किसान हों या वैज्ञानिक—हर वर्ग के लिए योग अनिवार्य है। यह जीवनशैली को अनुशासित बनाता है और रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है।

इस शिविर में संस्था के संयोजक प्रदीप पांडेय, योगाचार्य बृजमोहन, मंडल अध्यक्ष भगवत प्रताप सिंह और योग प्रशिक्षिका सोनम गुप्ता के नेतृत्व में प्रतिदिन सैकड़ों लोग भाग लेते हैं। इनका प्रयास है कि हर नागरिक ‘करो योग, रहो निरोग’ मंत्र को अपनाकर राष्ट्रनिर्माण में योगदान दे।

शिविर की शुरुआत गुरु वंदना और गायत्री मंत्र से होती है। फिर ओम के तीन पवित्र उच्चारण के बाद भस्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, उज्जयी, बंध क्रियाएं, योगनिद्रा व ध्यान कराया जाता है। इसके बाद सूर्य नमस्कार व विविध योगासनों के साथ सूक्ष्म क्रियाएं, व्यायाम, योगिंग जॉगिंग कराई जाती हैं।

अंत में राष्ट्रगान या वंदेमातरम् के साथ उद्घोष होता है, जिससे प्रतिभागियों के भीतर देशभक्ति व सामाजिक जागरूकता का संचार होता है। इस दिन के शिविर में हेमलता सिंह, राकेश यादव, दिनेश मिश्रा, वर्षा, संकटा प्रसाद, कल्लूराम अग्रहरि, आकर्ष, माया देवी, गीता, पिंकू सिंह, सचिन अग्रहरि, पूजा मौर्या समेत कई लोग उपस्थित रहे।

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“सुनो सत्तार के अब्बा, पांडे दरोगा जी ढूंढ लाए हैं मेरे आंखों के तारों को” https://vishwavarta.com/nanpara-missing-children-found/120117 Fri, 23 May 2025 15:57:29 +0000 https://vishwavarta.com/?p=120117 नानपारा लापता बच्चे के मामले में यूपी पुलिस ने एक बार फिर अपनी तत्परता का उदाहरण पेश किया है। बहराइच जनपद की कोतवाली नानपारा क्षेत्र के साईगांव सहाबा निवासी अफसर अली और अकबर अली नाम के दो मासूम भाई गुरुवार को अचानक लापता हो गए थे। दोनों बच्चे अपने मामा के साथ बीएसएनएल ऑफिस में …

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नानपारा लापता बच्चे के मामले में यूपी पुलिस ने एक बार फिर अपनी तत्परता का उदाहरण पेश किया है। बहराइच जनपद की कोतवाली नानपारा क्षेत्र के साईगांव सहाबा निवासी अफसर अली और अकबर अली नाम के दो मासूम भाई गुरुवार को अचानक लापता हो गए थे। दोनों बच्चे अपने मामा के साथ बीएसएनएल ऑफिस में आधार कार्ड बनवाने आए थे, लेकिन कुछ ही देर में परिवार की नजरें उनसे ओझल हो गईं।

घबराए हुए परिजनों ने कोतवाली प्रभारी निरीक्षक से संपर्क किया। इस पर प्रभारी निरीक्षक ने कस्बा चौकी इंचार्ज पुणेश पांडेय को इस खोजबीन की जिम्मेदारी सौंपी। इंस्पेक्टर पांडेय ने बिना देरी किए अपनी टीम के साथ पूरे नगर में सक्रियता दिखाई। जगह-जगह नाकेबंदी कराई गई और दोनों बच्चों की तस्वीरों के साथ खोज अभियान चलाया गया।

पुलिस की सतर्कता रंग लाई और कुछ ही घंटों में दोनों मासूम बच्चों का सुराग मिल गया। जब चौकी इंचार्ज उन्हें लेकर साईं गांव पहुंचे, तो घर पर कोहराम का माहौल था। रोते-बिलखते माता-पिता अचानक अपने लाडलों को देखकर फूट-फूट कर रो पड़े। बच्चों की मां ने खुशी से चिल्लाकर कहा — “सुनो सत्तार के अब्बा, पांडे दरोगा जी ढूंढ लाए हैं मेरे आंखों के तारों को।”

इस मानवीय क्षण ने हर किसी की आंखें नम कर दीं। स्थानीय लोग कस्बा इंचार्ज पुणेश पांडेय की त्वरित कार्रवाई और संवेदनशीलता की सराहना कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी जमकर प्रशंसा हो रही है। इस घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि जब पुलिस पूरी मुस्तैदी और मानवता के साथ काम करती है, तो भरोसा और सुरक्षा का माहौल खुद-ब-खुद बन जाता है।

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एप्पल अगले साल लॉन्च कर सकता है स्मार्ट ग्लास, स्मार्टवॉच योजना रद्द https://vishwavarta.com/apple-smart-glass-launch/120091 Fri, 23 May 2025 11:09:04 +0000 https://vishwavarta.com/?p=120091 टेक्नोलॉजी की दुनिया में एप्पल एक नया कदम उठाने जा रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, Apple स्मार्ट ग्लास लॉन्च अगले साल हो सकता है। इस स्मार्ट ग्लास में कैमरा, माइक और स्पीकर होंगे, जिससे यह आसपास की चीजों को पहचान सकेगा और Siri वॉइस असिस्टेंट के ज़रिए यूज़र के निर्देश भी समझेगा। एप्पल …

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टेक्नोलॉजी की दुनिया में एप्पल एक नया कदम उठाने जा रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, Apple स्मार्ट ग्लास लॉन्च अगले साल हो सकता है। इस स्मार्ट ग्लास में कैमरा, माइक और स्पीकर होंगे, जिससे यह आसपास की चीजों को पहचान सकेगा और Siri वॉइस असिस्टेंट के ज़रिए यूज़र के निर्देश भी समझेगा।

एप्पल के स्मार्ट ग्लास से यूज़र कॉल कर सकेंगे, म्यूजिक कंट्रोल कर सकेंगे, रियल टाइम ट्रांसलेशन पा सकेंगे और रास्तों की दिशा भी जान सकेंगे। इसमें एप्पल का इन-हाउस प्रोसेसर होगा, लेकिन अभी इसमें पूरी तरह से ऑगमेंटेड रियलिटी शामिल नहीं होगी — इसके लिए कुछ साल और लग सकते हैं।

यह खबर उस समय आई है जब OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन और एप्पल के पूर्व डिज़ाइनर जॉनी ईव ने AI हार्डवेयर कंपनी ‘io’ को खरीदा है। वे भी अगले साल एक ऐसा डिवाइस लॉन्च करने की योजना में हैं जिसमें स्क्रीन नहीं होगी लेकिन कैमरा और माइक्रोफोन होंगे।

ब्लूमबर्ग ने बताया कि एप्पल का स्मार्ट ग्लास Meta के Ray-Ban ग्लास की तरह होगा, लेकिन उससे बेहतर क्वालिटी का। मेटा ने अपने स्मार्ट ग्लास के 10 लाख से ज्यादा यूनिट्स बेचे हैं। इसी तरह गूगल, Xreal, Warby Parker और Samsung जैसी कंपनियां भी Android XR प्लेटफॉर्म पर अपने AI स्मार्ट ग्लास तैयार कर रही हैं।

हालांकि, एप्पल ने AI फीचर्स वाले कैमरा स्मार्टवॉच का प्लान फिलहाल रद्द कर दिया है। लेकिन वो अभी भी कैमरा वाले एयरपॉड्स पर काम कर रहा है।

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कछुआ संरक्षण में उत्तर प्रदेश बना मिसाल, योगी सरकार के कदम सराहनीय https://vishwavarta.com/kacchua-sanrakshan-uttar-pradesh/120028 Thu, 22 May 2025 11:36:25 +0000 https://vishwavarta.com/?p=120028 उत्तर प्रदेश में कछुआ संरक्षण उत्तर प्रदेश की दिशा में योगी आदित्यनाथ सरकार ने जो अभूतपूर्व पहल की है, वह न केवल जैव विविधता के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में राज्य की भूमिका को भी मजबूत करती है। 23 मई को मनाए जाने वाले विश्व कछुआ दिवस के अवसर …

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उत्तर प्रदेश में कछुआ संरक्षण उत्तर प्रदेश की दिशा में योगी आदित्यनाथ सरकार ने जो अभूतपूर्व पहल की है, वह न केवल जैव विविधता के प्रति सरकार की गंभीरता को दर्शाती है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में राज्य की भूमिका को भी मजबूत करती है। 23 मई को मनाए जाने वाले विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर यह समझना जरूरी है कि भारत में पाई जाने वाली 30 प्रजातियों में से 15 अकेले उत्तर प्रदेश में मिलती हैं।

इनके संरक्षण के लिए राज्य में तीन प्रमुख कछुआ संरक्षण केंद्र – लखनऊ का कुकरैल, वाराणसी का सारनाथ और चंबल क्षेत्र में स्थापित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त प्रयागराज के पास 30 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला कछुआ अभयारण्य 2020 में स्थापित किया गया था। इन केंद्रों के माध्यम से न केवल स्थानीय प्रजातियों का संरक्षण हो रहा है, बल्कि अन्य राज्यों से अवैध रूप से पकड़े गए कछुओं को भी यहां लाकर पुनर्वासित किया जा रहा है।

कछुए न केवल जल स्रोतों की स्वच्छता में योगदान करते हैं, बल्कि पारंपरिक रूप से भी भारतीय संस्कृति में पूजनीय हैं। कच्छप अवतार इसका धार्मिक उदाहरण है। जल की कटहवा, मोरपंखी, साल और सुंदरी जैसी प्रजातियां पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती हैं। योगी सरकार के अंतर्गत वन विभाग ने नदियों, झीलों और तालाबों के प्रदूषण को रोकने के लिए इनकी संख्या बढ़ाने और उनके आवासों को संरक्षित करने की दिशा में प्रभावशाली प्रयास किए हैं।

उत्तर प्रदेश वन एवं वन्यजीव विभाग द्वारा अवैध व्यापार पर नियंत्रण के लिए भी निरंतर काम किया जा रहा है। विभाग अन्य राज्यों से जब्त किए गए कछुओं को राज्य में पुनर्वासित करता है। यह प्रक्रिया राज्य के तीन केंद्रों के माध्यम से नियमित रूप से संचालित होती है।

2020 में प्रयागराज, मीरजापुर और भदोही तक फैले कछुआ अभयारण्य की स्थापना ‘नमामि गंगे’ योजना के तहत हुई थी। इस क्षेत्र में कछुओं के प्राकृतिक वासों की पहचान कर संरक्षण कार्य तेज़ी से किया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार यह अभयारण्य गंगा नदी की जैव विविधता के लिए एक वरदान साबित हो रहा है।

भारत में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियों में ब्राह्मणी, काला कछुआ, हल्दी बाथ, ढोर कछुआ, सुंदरी, मोरपंखी, कटहवा और तिलकधारी शामिल हैं। इनमें से अधिकांश उत्तर प्रदेश के जल स्रोतों में पाई जाती हैं, जिससे राज्य का महत्व राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक बढ़ गया है।

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गहराता जा रहा है संकट, तालाब सूखे, टैंकरों से चल रही जलापूर्ति https://vishwavarta.com/peeyajal-sankat/119752 Fri, 16 May 2025 12:32:37 +0000 https://vishwavarta.com/?p=119752 हलिया (मिर्ज़ापुर)। भीषण गर्मी के बीच पेयजल संकट ने हलिया विकासखंड के पठारी इलाकों में लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांवों में अब टैंकरों के सहारे पानी की आपूर्ति की जा रही है। तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं, यहां तक कि बच्चों ने अब सूखे तल …

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हलिया (मिर्ज़ापुर)। भीषण गर्मी के बीच पेयजल संकट ने हलिया विकासखंड के पठारी इलाकों में लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांवों में अब टैंकरों के सहारे पानी की आपूर्ति की जा रही है। तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं, यहां तक कि बच्चों ने अब सूखे तल में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया है।

ग्राम पंचायत कोटार के हरसड़ स्थित मुर्दहवा तालाब समेत दर्जनभर तालाबों में अब पानी नहीं बचा। धूल उड़ रही है और प्यासे जानवर भी इधर-उधर भटकते देखे जा सकते हैं। पानी की यह किल्लत सिर्फ तालाबों तक ही सीमित नहीं है, हैंडपंपों और कुओं का जलस्तर भी लगातार नीचे गिर रहा है।

ग्रामीणों का कहना है कि जब तक तालाबों में पानी नहीं भरेगा, हैंडपंपों और कूपों का स्तर नहीं सुधरेगा। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग की है कि सूखी नहरों को चालू कर तालाबों को भरवाया जाए। साथ ही कूपों की सफाई की मांग भी उठाई जा रही है।

गांव-गांव पहुंच रहा टैंकर

पटपरा, बेलाही, मतवार, नदना, पिपरा, मनिगढ़ा, थोथा, बैधा, देवरी, गोरगी, गौरवा समेत दो दर्जन गांवों में टैंकर से पानी पहुंचाया जा रहा है। बीडीओ विजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए हैंडपंपों का रिबोर कराया जा रहा है। साथ ही सभी ग्राम सचिवों व प्रधानों को निर्देश दिए गए हैं कि जब तक हालात सामान्य नहीं होते, टैंकरों के जरिए नियमित जलापूर्ति सुनिश्चित की जाए।

बिजली ने बढ़ाई मुश्किल

पेयजल संकट के साथ बिजली की आपूर्ति ने भी हालात बिगाड़ दिए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रात 9 बजे से सुबह 8 बजे तक ही बिजली दी जा रही है, जबकि दिन में मात्र दो घंटे की आपूर्ति हो पा रही है। तेज गर्मी और उमस ने लोगों का घर के भीतर रहना मुश्किल कर दिया है।

ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि हालात को गंभीरता से लेते हुए पानी और बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित की जाए, ताकि भीषण गर्मी में लोगों को राहत मिल सके।

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89 लोगों का हुआ सीने का एक्सरे, 6 में मिले टीबी के लक्षण https://vishwavarta.com/tb-mukt-bharat-abhiyaan/119339 Wed, 07 May 2025 12:10:46 +0000 https://vishwavarta.com/?p=119339 कुशीनगर, 7 मई। टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत कुशीनगर जिले के हाटा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अहिरौली राजा में एक दिवसीय निःशुल्क टीबी जाँच शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर टीबी यूनिट टेकुआटार और C-19 कार्यक्रम के संयुक्त प्रयास से संपन्न हुआ, जिसमें टीबी मुक्त भारत अभियान की भावना को आगे बढ़ाते …

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कुशीनगर, 7 मई। टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत कुशीनगर जिले के हाटा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत अहिरौली राजा में एक दिवसीय निःशुल्क टीबी जाँच शिविर का आयोजन किया गया। यह शिविर टीबी यूनिट टेकुआटार और C-19 कार्यक्रम के संयुक्त प्रयास से संपन्न हुआ, जिसमें टीबी मुक्त भारत अभियान की भावना को आगे बढ़ाते हुए कुल 89 ग्रामीणों का एक्सरे किया गया।

शिविर का शुभारंभ मुख्य अतिथि आतिफ लारी और ग्राम प्रधान अजय जायसवाल द्वारा फीता काटकर किया गया। स्वास्थ्य शिविर में आए 89 ग्रामीणों का रजिस्ट्रेशन कर सीने का एक्सरे किया गया, जिसकी निगरानी C-19 टीम के अवनीश प्रताप ने की। इनमें से 6 व्यक्तियों में एक्सरे में टीबी के लक्षण पाए गए, जबकि 20 संभावित मरीजों के बलगम सैंपल एकत्र कर उन्हें माइक्रोस्कोपी और सिबिनाट जांच के लिए भेजा गया।

कम्युनिटी लेवल पर जागरूकता और इलाज का प्रयास

इस स्वास्थ्य शिविर में एसटीएलएस निशान्त मिश्र और एसटीएस इसरार अली द्वारा संभावित रोगियों की काउंसलिंग की गई, जिससे वे आगे की जांच और उपचार के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकें। वहीं, सीएचओ ज्योति पाल और स्टाफ नर्स शिखा द्वारा रोगियों की शुगर, बीपी जांच की गई और आवश्यक दवाएं दी गईं।

इस शिविर में बीएचडब्ल्यू धर्मेंद्र गोंड, संगिनी सुमन, आशा कार्यकर्ता मीना देवी, गीता देवी, अमरावती देवी, योगेश जायसवाल, गौतम कुमार सहित कई स्थानीय लोग मौजूद रहे। ग्रामवासियों ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि गांव स्तर पर इस तरह की स्वास्थ्य सेवाएं मिलना एक बड़ी सुविधा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता से बढ़ेगी टीबी नियंत्रण की गति

स्वास्थ्य विभाग का यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में टीबी मुक्त भारत अभियान को धरातल पर लाने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। इससे न सिर्फ संभावित रोगियों की पहचान समय रहते हो रही है, बल्कि जागरूकता भी फैल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस प्रकार के शिविर नियमित रूप से आयोजित होते रहें तो टीबी जैसे संक्रामक रोग पर प्रभावी नियंत्रण पाया जा सकता है।

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यूपी रेरा बिना रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट में फंसे खरीददारों का पैसा दिलाएगा https://vishwavarta.com/up-rera-paisa-wapsi/118984 Mon, 28 Apr 2025 08:15:45 +0000 https://vishwavarta.com/?p=118984 लखनऊ। घर खरीददारों के लिए राहत की खबर है। यूपी रेरा ने बिना रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट में फंसे खरीददारों का पैसा वापस दिलाने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी कर दिया है। यह SOP पेंडिंग और भविष्य में आने वाली शिकायतों पर लागू होगी। रेरा केवल जमा किए गए पैसे की वापसी से जुड़े मामलों …

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लखनऊ। घर खरीददारों के लिए राहत की खबर है। यूपी रेरा ने बिना रजिस्टर्ड प्रोजेक्ट में फंसे खरीददारों का पैसा वापस दिलाने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी कर दिया है।

यह SOP पेंडिंग और भविष्य में आने वाली शिकायतों पर लागू होगी। रेरा केवल जमा किए गए पैसे की वापसी से जुड़े मामलों पर सुनवाई करेगा। विधि और तकनीकी सलाहकारों की रिपोर्ट को इस प्रक्रिया में अहम माना गया है। सलाहकारों को तीन दिन के भीतर रिपोर्ट सौंपनी होगी।

यूपी रेरा के नियमों के अनुसार, अगर किसी प्रोजेक्ट में आठ फ्लैट या उससे अधिक का निर्माण हुआ है, तो उसे रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य है। नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्रों में कई प्रोजेक्ट बिना रजिस्ट्री के अवैध रूप से बनाए गए हैं।

यूपी रेरा का यह कदम खरीददारों को न्याय दिलाने और रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक बड़ी पहल माना जा रहा है।

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टेस्ला की भारत में एंट्री से पहले 100% टैक्स का झटका, ग्राहक बोले- इतना महंगा क्यों! https://vishwavarta.com/tesla-india-import-duty-concerns/118907 Sat, 26 Apr 2025 07:06:13 +0000 https://vishwavarta.com/?p=118907 नई दिल्ली।अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला ने भारत में 100% आयात शुल्क को लेकर चिंता जताई है, जिससे संभावित ग्राहक असमंजस में हैं। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी, वैभव तनेजा ने हाल ही में कहा कि इस शुल्क के कारण टेस्ला की कारों की कीमत दोगुनी हो जाती है, जिससे ग्राहक अत्यधिक भुगतान करने को …

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नई दिल्ली।
अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला ने भारत में 100% आयात शुल्क को लेकर चिंता जताई है, जिससे संभावित ग्राहक असमंजस में हैं। कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी, वैभव तनेजा ने हाल ही में कहा कि इस शुल्क के कारण टेस्ला की कारों की कीमत दोगुनी हो जाती है, जिससे ग्राहक अत्यधिक भुगतान करने को लेकर चिंतित हैं। ​

भारत सरकार ने हाल ही में एक नई इलेक्ट्रिक वाहन नीति की घोषणा की है, जिसके तहत विदेशी निर्माता यदि $500 मिलियन का निवेश करते हैं और स्थानीय उत्पादन सुनिश्चित करते हैं, तो उन्हें पांच वर्षों में 40,000 वाहनों के आयात पर 15% की रियायती दर दी जाएगी। ​

टेस्ला ने मुंबई और नई दिल्ली में शोरूम के लिए स्थान सुरक्षित किए हैं और कई नौकरियों के लिए विज्ञापन दिए हैं, जिससे संकेत मिलता है कि कंपनी भारतीय बाजार में प्रवेश की तैयारी कर रही है। ​

हालांकि, कंपनी ने अभी तक भारत में स्थानीय उत्पादन के लिए कोई ठोस योजना की घोषणा नहीं की है। इस बीच, टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के बाद इस वर्ष भारत की यात्रा की योजना बनाई है, जिससे उम्मीद है कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता आगे बढ़ेगी। ​

टेस्ला के लिए भारत एक बड़ा और तेजी से बढ़ता हुआ बाजार है, लेकिन उच्च आयात शुल्क और स्थानीय उत्पादन की अनिश्चितता कंपनी के लिए चुनौतियां पेश कर रही हैं। ग्राहकों की चिंता और स्थानीय प्रतिस्पर्धा के बीच, टेस्ला को अपने रणनीतिक निर्णयों में सावधानी बरतनी होगी।​


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महाकुंभ विशेष: स्टीव जॉब्स की तरह पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी आध्यात्मिकता की राह पर https://vishwavarta.com/mahakumbh-special-like-steve-jobs-wife-lauren-powell-jobs-is-also-on-the-path-of-spirituality/118424 Thu, 30 Jan 2025 05:19:26 +0000 https://vishwavarta.com/?p=118424 “लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ 2025 में 10 दिन के लिए निरंजनी अखाड़े में कल्पवास शुरू किया। स्टीव जॉब्स की तरह भारतीय आध्यात्मिकता और नीब करौरी बाबा से प्रेरित लॉरेन का यह कदम भारतीय संस्कृति के प्रति उनके लगाव को दर्शाता है।” प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की झलक हर ओर बिखरी …

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“लॉरेन पॉवेल जॉब्स ने महाकुंभ 2025 में 10 दिन के लिए निरंजनी अखाड़े में कल्पवास शुरू किया। स्टीव जॉब्स की तरह भारतीय आध्यात्मिकता और नीब करौरी बाबा से प्रेरित लॉरेन का यह कदम भारतीय संस्कृति के प्रति उनके लगाव को दर्शाता है।”

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की झलक हर ओर बिखरी हुई है। इसी बीच प्रसिद्ध अमेरिकी कारोबारी और एप्पल के सह-संस्थापक स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स का निरंजनी अखाड़े में कल्पवास करना चर्चा का विषय बन गया है।

लॉरेन पॉवेल जॉब्स, जिनकी आध्यात्मिकता के प्रति गहरी रुचि रही है, ने प्रयागराज महाकुंभ में 10 दिनों का कल्पवास शुरू किया है। यह यात्रा उनकी भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के प्रति आस्था को उजागर करती है।

स्टीव जॉब्स ने अपने जीवन में भारतीय आध्यात्मिकता का महत्व समझा था। बाबा नीब करौरी से जुड़ी उनकी एक यात्रा ने एप्पल के लोगो को कटा हुआ सेब बनाने की प्रेरणा दी थी। बाबा द्वारा आशीर्वाद स्वरूप दिया गया कटा हुआ सेब उनके जीवन में प्रेरणादायक घटना बनी।

अपने पति की तरह, लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी भारतीय आध्यात्मिकता की ओर आकर्षित हैं। उन्होंने आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा ग्रहण की और उनके मार्गदर्शन में निरंजनी अखाड़े के शिविर में रहने का निर्णय लिया।

अवधि: 10 दिन

स्थान: निरंजनी अखाड़ा

सुरक्षा प्रबंध: विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है।

गतिविधियां: धार्मिक अनुष्ठान, ध्यान और भारतीय संस्कृति की गहन समझ।

लॉरेन पॉवेल का महाकुंभ में आना यह दर्शाता है कि आधुनिकता और आध्यात्मिकता का मेल कैसे एक नए वैश्विक परिप्रेक्ष्य को जन्म दे सकता है। यह कदम भारतीय संस्कृति की वैश्विक प्रासंगिकता को और मजबूत करता है।

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