लखनऊ, 7 मई।
उत्तर प्रदेश सरकार अब लखीमपुर खीरी ईको टूरिज्म को राज्य के विकास का नया इंजन बना रही है। धार्मिक पर्यटन में वैश्विक पहचान बनाने के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश अब प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधता और जनजातीय संस्कृति को पर्यटन से जोड़ने की दिशा में ठोस कदम उठा रहा है।
लखीमपुर खीरी जिला, जो दुधवा नेशनल पार्क और किशनपुर वाइल्डलाइफ सेंचुरी जैसे समृद्ध वन क्षेत्रों के लिए प्रसिद्ध है, अब ईको टूरिज्म का नया केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। सरकार ने चंदन चौकी और शारदा बैराज क्षेत्र में ईको टूरिज्म से संबंधित ढांचागत विकास की योजनाएं मंजूर की हैं। चंदन चौकी में ईको लॉज, टेंटिंग और ग्लैम्पिंग की सुविधा होगी, जबकि शारदा बैराज के निकट टेंट सिटी और वॉटर स्पोर्ट्स की व्यवस्था की जाएगी।
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इस प्रयास का एक और महत्वपूर्ण पहलू है थारू जनजाति की संस्कृति को पर्यटन से जोड़ना। स्थानीय हस्तशिल्प प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से पर्यटक थारू समुदाय के रहन-सहन और परंपराओं से रूबरू होंगे। इससे एक ओर जहां सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के लिए आजीविका के नए द्वार भी खुलेंगे।
सरकार की 2022 की नई पर्यटन नीति के अंतर्गत वाइल्डलाइफ और ईको टूरिज्म सर्किट को विशेष प्राथमिकता दी गई है। “वन डिस्ट्रिक्ट, वन डेस्टिनेशन” योजना और उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड जैसे संस्थागत उपायों के चलते लखीमपुर खीरी जैसे स्थान अब पर्यावरण के संरक्षण के साथ-साथ रोजगार और पर्यटन के त्रिवेणी संगम के केंद्र बन रहे हैं।
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योगी आदित्यनाथ ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि उत्तर प्रदेश पर “प्रकृति और परमात्मा की असीम अनुकंपा” है। यही कारण है कि राज्य ईको टूरिज्म को केवल एक व्यावसायिक अवसर नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संतुलन के साधन के रूप में देखता है।
लखीमपुर खीरी ईको टूरिज्म पहल न केवल प्राकृतिक प्रेमियों और साहसिक पर्यटकों को लुभाएगी, बल्कि प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर एक अग्रणी ईको टूरिज्म डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित भी करेगी।