नवादा । नवादा जिले के पकरीबरावां में संचालित निजी नर्सिंग होम पटना क्लीनिक में गुरुवार को प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत हो गई। मृतका 26 वर्षीय शोभा देवी पकरीबरावां थाना क्षेत्र के एरुरी गांव मनीष कुमार मांझी की पत्नी थी। घटना के बाद भड़के लोगों ने उक्त क्लीनिक में तोड़फोड़ किया। सूचना के बाद पहुंची पुलिस ने मामले की जांच-पड़ताल की।
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बताया जाता है कि प्रसव पीड़ा के बाद परिजन महिला को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पकरीबरावां पहुंचे थे। उस समय ड्यूटी पर तैनात एएनएम एवं आशा ने बताया कि यहां बच्चा हो जाएगा। ढ़ाई घंटे के बाद उसे बताया गया कि उसकी पत्नी को नवादा सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया है। इसके बाद उसे पटना क्लीनिक में भर्ती कराया गया।
परिजन के अनुसार उक्त निर्सिंग होम में आॅपरेशन से बच्चा निकालने के लिए 50 हजार रुपए एवं ब्लड की डिमांड की गई। ऑपरेशन के दौरान ही जच्चा- बच्चा की मौत हो गई। इसके बाद नर्सिंग होम के कर्मी उसे नवादा इलाज के लिए ले जाने के बहाने शव को नर्सिंग होम से हटा दिया। परिवार वालों द्वारा महिला के बारे में पूछे जाने पर संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर गुस्साए लोगों ने नर्सिंग होम में तोड़- फोड़ शुरू कर दिया।
सूचना मिलने के बाद थानाध्यक्ष अजय कुमार एवं अन्य पुलिस पदाधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। मामले की जांच-पड़ताल की गई। बाद में शव को डुमरावां पेट्रोल पंप के पास से बरामद किया गया। शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल नवादा लाया गया है।
रजिस्ट्रेशन की हो रही है जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीओ सदर अखिलेश कुमार, सीओ राजेश कुमार, सीएचसी के दो डॉक्टर नर्सिंग होम पहुंचे। सभी ने नर्सिंग होम की जांच पड़ताल किया। नर्सिंग होम को सील करने के पहले रजिस्ट्रेशन सहित अन्य कागजातों की जांच की जा रही है।
सीएचसी के कर्मियों की भूमिका संदिग्ध
इस मामले में सीएचसी पकरीबरावां के कर्मियों की भूमिका संदिग्ध है। रेफर के बाद उसे कायदे से सदर अस्पताल नवादा भेजा जाना था। लेकिन, वह निजी नर्सिंग होम में पहुंच गई। लोग बताते हैं कि दलालों ने प्रसव पीड़िता को उक्त नर्सिंग होम में दाखिल करा दिया था। अस्पताल कर्मियों की दलाली नीति ने जच्चा- बच्चा की जान ले ली है ।अगर सही तरीके से जांच हुई तो निश्चित तौर पर सरकारी अस्पताल कर्मियों पर हत्या की प्राथमिक की दर्ज होनी चाहिए।