अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने शुक्रवार को प्रयाग कुंभ-2019 में शाही स्नान के बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया। शाही स्नान की तिथियां तय करने के साथ ही कुंभ के तहत स्थाई संत निवास, पेशवाई मार्ग, प्रयाग राज परिक्रमा पथ निर्माण की समीक्षा के लिए बुलाई गई बैठक में एक स्वर से बहिष्कार का फैसला वापस ले लिया गया।
शाही स्नान की घोषणा के लिए शनिवार को सीएम योगी आदित्यनाथ के प्रयाग आने से पहले परिषद ने यह फैसला लेकर यह संदेश दिया कि सरकार से अब उनकी कोई नाराजगी नहीं है। कुंभ के इतिहास में यह पहला मौका होगा, जब अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों की मौजूदगी में सीएम खुद शाही स्नान की तिथियों की घोषणा करेंगे।
अल्लापुर स्थित बाघंबरी गद्दी परिसर में शुक्रवार को शुरू हुई अखाड़ा परिषद की बैठक में कुलसात प्रस्ताव पारित किए गए। इसमें सबसे अहम निर्णय शाही स्नान के बहिष्कार के फैसले की वापसी था। पिछली कार्रवाई की पुष्टि के बाद परिषद के महामंत्री श्री महंत हरि गिरि महाराज ने यह प्रस्ताव रखा।
उनका कहना था कि उज्जैन, नासिक कुंभ की तर्ज पर प्रयाग में स्थाई संत निवास और श्रद्धालु हित की सुविधाओं की अनदेखी पर शाही स्नान के बहिष्कार का फैसला लिया गया था लेकिन अब सीएम के निर्देश पर काम शुरू हो गया है। सीएम ने कुंभ से पहले सभी कार्य पूरे करा लिए जाने का भरोसा दिलाया है। ऐसे में शाही स्नान के बहिष्कार का फैसला वापस लिया जा सकता है।
भूमा पीठाधीश्वर अच्युतानंद को अखाड़ा परिषद ने किया बहिष्कृत
हरिद्वार स्थित भूमा निकेतन के पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद सरस्वती महाराज को शुक्रवार को अखाड़ा परिषद ने संत समाज से बहिष्कृत करने का एलान किया। अखाड़ा परिषद की बैठक में विचार-विमर्श के बाद सर्व सम्मति से उनके बहिष्कार के फैसले पर मुहर लगा दी गई। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि महाराज ने बताया कि अच्युतानंद लगातार परिषद के विरुद्ध बयानबाजी कर रहे हैं।