“सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आरक्षण पाने के लिए किया गया धर्म परिवर्तन संविधान के साथ धोखा है। महिला की अपील खारिज करते हुए SC ने धर्म परिवर्तन के सही उद्देश्य पर जोर दिया।”
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि केवल आरक्षण का लाभ पाने के लिए धर्म परिवर्तन करना संविधान के साथ धोखा है। यह मामला 26 नवंबर को सामने आया, जिसमें एक महिला ने क्रिश्चियन धर्म अपनाने के बाद शेड्यूल कास्ट (SC) का प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए हिंदू होने का दावा किया।
महिला की अपील ठुकराई गई
सुप्रीम कोर्ट ने महिला की अपील को खारिज करते हुए टिप्पणी की कि धर्म परिवर्तन केवल तभी किया जाना चाहिए जब वह उस धर्म के मूल्यों, विचारों और आस्थाओं से प्रेरित हो। न्यायालय ने कहा कि केवल आरक्षण का लाभ उठाने के लिए धर्म परिवर्तन करना संविधान की भावना का उल्लंघन है।
SC का सख्त संदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि धर्म परिवर्तन एक गंभीर और निजी मामला है, जिसे फायदे के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यह समाज में भेदभाव और संविधान की नीतियों के खिलाफ है।
संविधान और आरक्षण का महत्व
न्यायालय ने यह भी कहा कि आरक्षण का उद्देश्य ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त करना और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना है। इसे गलत तरीके से इस्तेमाल करना उन लोगों के अधिकारों का हनन है, जो वास्तव में इसके हकदार हैं।
महत्वपूर्ण टिप्पणियां
- धर्म परिवर्तन केवल व्यक्तिगत आस्था और विश्वास के आधार पर होना चाहिए।
- आरक्षण का दुरुपयोग संविधान की भावना और सामाजिक न्याय के उद्देश्य को ठेस पहुंचाता है।
देश-दुनिया से जुड़े राजनीतिक और सामयिक घटनाक्रम की विस्तृत और सटीक जानकारी के लिए जुड़े रहें विश्ववार्ता के साथ। ताज़ा खबरों, विधायी मामलों और विशेष रिपोर्ट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।
मनोज शुक्ल
Vishwavarta | Hindi News Paper & E-Paper National Hindi News Paper, E-Paper & News Portal