“मणिपुर में CM बीरेन सिंह की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। NPP के समर्थन वापसी के बाद NDA बैठक में भी 18 विधायक गैरहाजिर रहे। हालात तनावपूर्ण।”
मणिपुर । मणिपुर में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की सरकार संकट में आ गई है। हालात तब बिगड़े जब कोनराड संगमा की पार्टी नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) ने सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान किया। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद बुलाई गई NDA की बैठक में बीरेन सिंह को बड़ा झटका लगा।
बैठक में केवल 27 विधायक शामिल
NDA की इस बैठक में 45 में से सिर्फ 27 विधायक ही पहुंचे। 60 सदस्यीय विधानसभा में NPP के 7 विधायक हैं, जिन्होंने बैठक से दूरी बनाए रखी। इसके अलावा बीजेपी के 7 विधायक और 10 आदिवासी विधायक भी बैठक में गैरहाजिर रहे।
NPP की वापसी का असर
NPP के समर्थन वापसी के चलते मणिपुर की सरकार पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। 60 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 31 है। NPP के हटने के बाद सरकार को अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए अन्य दलों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करना होगा।
आदिवासी विधायकों की नाराजगी
सूत्रों के मुताबिक, आदिवासी विधायकों की गैरमौजूदगी उनके सरकार से बढ़ते असंतोष का संकेत है। राज्य में पहले से ही जातीय तनाव और हिंसा के हालात हैं, और इस राजनीतिक अस्थिरता ने स्थिति को और जटिल बना दिया है।
सुरक्षा और प्रशासन पर सवाल
मणिपुर में लंबे समय से तनाव और अशांति का माहौल है। इस सियासी संकट ने राज्य प्रशासन की कार्यक्षमता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
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विशेष संवाददाता: मनोज शुक्ल
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