साइबर अपराध का नया ट्रेंड डिजिटल अरेस्ट
लखनऊ। राजधानी में हाल ही में बढ़ते साइबर अपराध के मामलों को देखते हुए, लखनऊ पुलिस ने नागरिकों के लिए सतर्कता और सावधानी बरतने की एक महत्वपूर्ण अपील जारी की है। पुलिस ने खासतौर से ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम से चल रहे एक नए साइबर फ्रॉड तरीके की ओर लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इस ट्रेंड के तहत साइबर अपराधी वीडियो कॉल के माध्यम से झूठे आरोप लगाकर लोगों को डराते हैं और उनसे पैसे की मांग करते हैं।
वर्तमान में साइबर फ्राड का यह तरीका सबसे ज्यादा प्रचलन में है। इसकी शुरुआत साइबर अपराधी ऑडियो कॉल अथवा वीडियो कॉल से करते हैं और कॉल के माध्यम से लोगों पर कोई न कोई आरोप लगाकर इतना डर भर देते है कि वह व्यक्ति डर के कारण अपने ही घर में कैद होकर रह जाता है।
वह अपनी बात किसी से कह नहीं पाता। साइबर अपराधी टारगेट व्यक्ति को तबतक संपर्क में बने रहने तथा विडियो कॉल पर ज्यादा समय बिताने और किसी को यह बात न बताने का प्रेशर दिया जाता है जबतक वह रुपए ट्रांसफर नहीं कर देता। वीडियो कॉल के माध्यम से अनलोगों द्वारा ऐसा बैक ग्राउंड क्रिएट किया जाता है कि वह कॉल आपको किसी पुलिस अधिकारी, किसी सरकारी जांच एजेंसी सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स विभाग आदि की लगती है। इससे डर कर लोग लाखों रुपए ट्रांसफर कर देते है।
जानें साइबर अपराधी आरोप क्या लगाते हैं-
पार्सल घोटालाः
पीड़ित को यह सूचित किया जाता है कि आपके नाम से अवैध वस्तुओं वाले पार्सल पकडा गया है जिसमें ड्रग्स / अवैध वस्तु पायी गयी है।
परिवार के सदस्यों की संलिप्तताः
घोटालेबाज दावा करते हैं कि परिवार का कोई सदस्य अपराध में शामिल है जैसे- रेप केस, मनी लांड्रिंग आदि और उसे तत्काल वित्तीय सहायता की आवश्यकता है।
आधार या फ़ोन नंबर का दुरुपयोगः
पीड़ित पर उनके आधार या फ़ोन नंबर का अवैध गतिविधियों के लिए उपयोग करने का आरोप लगाया जाता है।
पोर्न वीडियो देखने अथवा अपलोड करने का आरोपः
पीड़ित पर साइबर अपराधियों द्वारा पोर्न वीडियो देखने और अपलोड करने का आरोप लगाया जाता है।
कैसे बचें-
इस तरह किसी कॉल के आने पर डरें नहीं न ही उनके द्वारा कही गयी किसी बात पर विश्वास करें। सबसे पहले अपनी बात आस-पास के लोगों से शेयर करें, यदि आपके द्वारा अपनी बात किसी से शेयर नहीं की जाती है तो निश्चित ही आप परेशान होकर ठगी का शिकार हो सकते हैं। किसी को भी डर कर पैसे स्थानान्तरित न करें। इस अपराध में आपकी हिम्मत व प्रसेंस आफ माइंड ही तत्समय काम करता है साथ ही आप आने वाली कॉल व लगाये गये फर्जी आरोपों के संशय के निदान हेतु अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन अथवा साइबर सेल से संपर्क कर सकते हैं।
किसी भी जांच प्रक्रिया में किसी भी जांच एजेंसी द्वारा डिजिटल अरेस्ट जैसा कोई भी कानूनी प्रावधान नहीं है तथा किसी भी जांच के निस्तारण हेतु आपके द्वारा संरक्षित धन का किसी जांच एजेंसी के खाते में स्थानान्तरित किये जाने का कोई प्रावधान नहीं है।