महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के यमगे गांव से एक प्रेरणादायक कहानी सामने आई है। धनगढ़ का बेटा बना IPS अफसर—यह वाक्य आज पूरे गांव की जुबान पर है। बिरुदेव सिद्धाप्पा ढोणे, एक सामान्य परिवार से आने वाले युवक ने अपने पहले ही प्रयास में UPSC परीक्षा पास कर 551वीं रैंक हासिल की है।
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बिरुदेव का सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा। एक दिन जब उसका मोबाइल खो गया और थाने में पुलिस ने एफआईआर लिखने से इनकार कर दिया, उसी क्षण उसने ठान लिया कि अब वह खुद आईपीएस अधिकारी बनेगा। यह निर्णय उसकी जिंदगी की दिशा बदलने वाला था।
बिरुदेव ने यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली का रुख किया। साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले बिरुदेव के पिता बकरी चराते थे और किसी तरह महीने में 10 से 12 हजार रुपये बेटे को भेजते थे। इन पैसों में ही बिरुदेव ने अपनी पढ़ाई और रहन-सहन का खर्च चलाया।
दिल्ली की लाइब्रेरी और कोचिंग के बीच रोजाना 20 से 22 घंटे पढ़ाई करने वाला यह युवक कभी हार नहीं मानता था। अपने गांव के खंभे के पास बैठकर किताबें पढ़ने वाला वही लड़का आज आईपीएस अफसर बन गया है।
बिरुदेव ने पुणे के सिओईपी कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। इसके पहले वह दसवीं और बारहवीं कक्षा में मुरगुड केंद्र में टॉप कर चुका था। उसकी इस सफलता से न सिर्फ परिवार, बल्कि पूरा कागल तहसील गर्व महसूस कर रहा है।
जब गांव में उसके दोस्त ने चिल्लाकर खबर दी कि “बिरुदेव, तुम पास हो गए,” तो वहां मौजूद अनपढ़ माता-पिता की आंखों में आंसू छलक आए। उन्हें बस इतना समझ आया कि अब उनका बेटा ‘साहब’ बन गया है।