प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) से जुड़े कॉलेजों में बीए की सीटें भरना मुश्किल होता जा रहा है। इस स्थिति ने उच्च शिक्षा के भविष्य को लेकर चिंताएँ पैदा कर दी हैं, खासकर जब राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत 2035 तक उच्च शिक्षा में 50 फीसदी प्रवेश का लक्ष्य रखा गया है।
बीए में भरने में कमी
जबकि बीएससी और बीकॉम में प्रवेश प्रक्रिया ने अपेक्षाकृत सफलता प्राप्त की है, बीए की सीटों में भराव की स्थिति चिंताजनक है। उदाहरण के लिए, बीएससी और बीकॉम में कॉलेजों ने 80 फीसदी तक सीटें भर ली हैं, लेकिन बीए में यह आंकड़ा केवल 40 फीसदी तक सीमित रह गया है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए की लगभग 90 फीसदी सीटें भर गई हैं, लेकिन संबद्ध कॉलेजों में स्थिति अलग है।
कॉलेजों में प्रवेश की स्थिति
विशिष्ट कॉलेजों की बात करें तो इलाहाबाद डिग्री कॉलेज में बीए की 2829 सीटों में से केवल 418 सीटें भरी गई हैं। इसी तरह, सीएमपी कॉलेज में 3600 सीटों में से 2500, जगत तारन गर्ल्स डिग्री कॉलेज में 1400 में से 475, और ईश्वर शरण डिग्री कॉलेज में 1994 में से 1350 सीटों पर ही प्रवेश हुआ है। आर्य कन्या डिग्री कॉलेज में बीए की 1332 सीटों के सापेक्ष लगभग 300 सीटें भरी गई हैं।
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कारण: विलंबित दाखिला प्रक्रिया
इस स्थिति के पीछे का एक प्रमुख कारण है दाखिला प्रक्रिया में विलंब। पिछले शैक्षिक सत्र 2022-23 से कॉलेजों में कॉमन यूनिवर्सिटी इंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) लागू किया गया है। इसके चलते दाखिला प्रक्रिया में देरी हो रही है, जिससे छात्रों को अन्य विश्वविद्यालयों या कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
उदाहरण के लिए, प्रो. राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) राज्य विश्वविद्यालय में दाखिला प्रक्रिया समय पर पूरी हो जाती है, जिसके चलते वहां के छात्र इविवि के कॉलेजों की बजाय उस विश्वविद्यालय का रुख कर रहे हैं।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उच्च शिक्षा में दाखिला बढ़ाने का लक्ष्य महत्वपूर्ण है। वर्तमान में, देश में उच्च शिक्षा में पंजीकरण का आंकड़ा 28.4 फीसदी है, जो कि अपेक्षित स्तर से कम है। यदि बीए की सीटें भरने में यह कमी बनी रहती है, तो 2035 तक 50 फीसदी प्रवेश का लक्ष्य पूरा करना एक चुनौती साबित होगा।
कॉलेजों के अधिकारियों का मानना है कि यदि समय पर दाखिला प्रक्रिया को सुचारू किया जाए, तो यह स्थिति बेहतर हो सकती है। वर्तमान में प्रवेश प्रक्रिया जारी है, लेकिन सुधार की आवश्यकता है ताकि छात्रों को आकर्षित किया जा सके और उच्च शिक्षा के लक्ष्यों को पूरा किया जा सके।