हरदोई जिले की स्थापना 163 वर्ष पूर्व 28 अक्टूबर 1859 को ब्रिटिश हुकूमत के दौरान हुई थी। उस समय यह जिला मुख्यालय मल्लावां में था। 1857 के गदर के बाद, ईस्ट इंडिया कंपनी ने शासन ब्रिटिश सरकार के हवाले कर दिया, जिसने हरदोई को एक सुरक्षित और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान माना।
स्थानीय विकास:
हरदोई का विकास एक छोटे गांव के रूप में शुरू हुआ और धीरे-धीरे इसे जिला मुख्यालय के रूप में विकसित किया गया। यह क्षेत्र कोलकाता-अमृतसर और लखनऊ-दिल्ली रेल मार्ग के बीच स्थित होने के कारण अत्यधिक महत्वपूर्ण बन गया। यही कारण है कि हरदोई रेलवे स्टेशन से देश के प्रमुख शहरों के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
अंग्रेजों द्वारा निर्मित महत्वपूर्ण स्थल:
- कलेक्ट्रेट भवन:
लगभग 150 साल पुराना यह भवन एच आकार में बना है, जो ड्रोन से स्पष्ट दिखाई देता है। यह प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता है। - विक्टोरिया मेमोरियल हाल:
इसे भी अंग्रेजों ने बनाया था और यह हरदोई का एक ऐतिहासिक स्थल है। इसकी घड़ी इंग्लैंड से आई थी और आज भी सही समय बताती है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में एकमात्र विक्टोरिया मेमोरियल हॉल है, दूसरा केवल कोलकाता में है। - शहीद उद्यान:
यह उद्यान कम्पनी सरकार के जमाने का है और इसकी सुंदरता देखते ही बनती है। इसमें एक स्विमिंग पूल भी है, जिसे अंग्रेजों ने बनवाया था।
आबादी और क्षेत्रफल:
हरदोई की कुल आबादी लगभग 41 लाख है और यह 6000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह उत्तर प्रदेश का तीसरा सबसे बड़ा जिला है, जिसमें 2 लोकसभा और 8 विधानसभा क्षेत्र हैं।
सड़कें और बुनियादी ढांचा:
हरदोई में चौड़ी सड़कों और खुली जगहों की भरपूर उपलब्धता है। यहां के फुटपाथ भी मुख्य सड़कों की तुलना में चौड़े हैं। लखनऊ-दिल्ली रोड हाईवे पर स्थित होने के कारण यहां ट्रैफिक भी अधिक होता है, लेकिन बाईपास बनाकर इसे डायवर्ट करने का प्रयास किया जा रहा है।
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नदियों का महत्व:
हरदोई से लगभग आधा दर्जन नदियां गुजरती हैं, जैसे गंगा, रामगंगा, गर्रा, नीलम, गंभीरी, सई, और गोमती। इन नदियों के कारण कभी-कभी बाढ़ भी आती है, विशेषकर सवायजपुर और बिलग्राम तहसीलों में।
हरदोई का इतिहास और विकास न केवल स्थानीय संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है, बल्कि यह उस समय की दूरदर्शिता का भी प्रतीक है, जब ब्रिटिश शासन ने इसे एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र के रूप में स्थापित किया। इस जिले की स्थापना दिवस पर स्थानीय लोग गर्व के साथ अपने समृद्ध इतिहास का जश्न मनाते हैं।