प्रयागराज। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बौद्धिक सम्पदा अधिकार और प्रौद्योगिकी के व्यवसायीकरण में एनआरडीसी की भूमिका पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम (एनआरडीसी) के वरिष्ठ प्रबंधक डॉ. एसके मजूमदार और सहायक प्रबंधक रूचि सिंघल ने बौद्धिक सम्पदा के संरक्षण के बारे में बताया।
शनिवार को इविवि के प्रो. ईश्वर टोपा सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ. एसके मजूमदार ने कहा कि एनआरडीसी अनुपम शोधों के लिए आर्थिक सहयोग भी प्रदान करती है। यहां बौद्धिक सम्पदा को संरक्षित करने के लिए आर्थिक और तकनीकी सहयोग प्रदान किया जाता है। देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए भी निगम प्रयासरत हैं।
डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. एसआई रिजवी ने कहा कि मानव मस्तिष्क ही इन्नोवेशन करने में सझम है। प्रत्येक इन्नोवेशन को संरक्षिक करने की जरूरत है। इसके साथ ही उन्होंने भारत में पेटेंट के इतिहास पर प्रकाश डाला। पेटेंट सेल के चेयरपर्सन डॉ. विष्णु प्रभाकर श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण एवं संयोजक डॉ. सीमान्त श्रीवास्तव ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो.संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि विचार एक बौद्धिक सम्पदा है। नवीन अनुसंधानों को बौद्धिक सम्पदा के तहत संरक्षित करना बेहद जरूरी है। इससे आर्थिक लाभ के साथ सामाजिक उपयोगिता के नवीन रास्ते खुलते हैं। पेटेंट छोटा या बड़ा नहीं होता, हर अनुसंधान की अपनी एक सामाजिक जरूरत होती है। अच्छे पेटेंट देश की आर्थिक हालात सुधारने में सक्षम हैं। साउथ कोरिया और जापान का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि पेटेंट का व्यवसायीकरण करने से इन दोनों देशों की जीडीपी को काफी मजबूती मिली है। उन्होंने सलाह दी कि भारत में निर्मित वस्तुओं का अधिक से अधिक प्रयोग करें। क्योकि विदेशों में पेटेंट के बाद वस्तुएं जब भारत आती हैं तो उनका मूल्य काफी बढ़ जाता है। उन्होंने इविवि के शिक्षकों और शोधार्थियों को सलाह दी कि राष्ट्रीय अनुसंधान विकास निगम से सहयोग लेकर अपने शोध को बौद्धिक सम्पदा कानून के तहत संरक्षित अवश्य करवा लें।
इविवि की जनसम्पर्क अधिकारी प्रो जया कपूर ने बताया कि तकनीकी सत्र में डॉ. एसके मजूमदार ने प्रत्येक शोध को बौद्धिक सम्पदा कानून के तहत संरक्षित करने के विभिन्न तरीकों पर प्रकाश डाला। वहीं, एनआरडीसी से आईं वक्ता रूचि सिंघल ने पेटेंट करने की प्रक्रिया और जरूरी दस्तावेजों के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.मोनिशा सिंह ने किया। इस मौंके पर रजिस्ट्रार प्रो. आशीष खरे, विज्ञान संकाय के डीन प्रो.बेचन शर्मा, पेटेंट सेल के सदस्य डॉ.त्रिरंजिता और डॉ.मनीष सहित शिक्षक और सैकड़ों विद्यार्थी मौजूद रहे।