नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती ने नोटबंदी के मुद्दे पर एक बार फिर केंद्र सरकार की घेरेबंदी की है।
उन्होंने सरकार को इस फैसले की समीक्षा करने की सलाह देते हुए कहा कि केंद्र ने बिना तैयारी के जल्दबाजी में ही देश में 500 व 1000 रुपये के नोटों पर पाबन्दी लगाने का फैसला लिया है।
इस कारण देश की लगभग 90 प्रतिशत गरीब व मेहनतकश एवं मध्यम वर्गीय जनता पीड़ा के दौर से गुजर रही है। सबसे ज्यादा तकलीफ देहात के गरीबों व किसानों को हो रही है, उन्हें अपने पैसे के लिए काफी दूर-दराज जाना पड़ रहा है।
मायावती ने यहां एक बयान जारी कर कहा कि इसमें कोई सन्देह नहीं है कि केन्द्र में भाजपा व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा पिछले महीने 8 नवम्बर को लिए गए नोटबंदी के फैसले से शहरों व कस्बों में भी लोगों की तकलीफें कम नहीं हो रही हैं।
देश में नोटबन्दी के 35 दिन बाद भी एटीएम व बैंकों के बाहर लोगों की लम्बी कतारें छोटी नहीं हुई हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे हालात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व इनके केन्द्रीय मन्त्रियों को भी लोगों के बीच जाकर इनकी दुःख-तकलीफों को समझना चाहिए और फिर इनको अपने इस फैसले की पुनः समीक्षा करनी चाहिए। वर्ना वक्त आने पर जनता इसकी सजा जरूर देगी।
मायावती ने सपा में टिकटों को लेकर चल रही खींचतान पर भी जमकर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सपा में आपसी वर्चस्व की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश, खासकर मुस्लिम समाज के लोगों को विधानसभा चुनाव में अपना वोट सपा को देकर खराब नहीं करना चाहिए वर्ना इसका सीधा फायदा भाजपा को ही मिलेगा।
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