“प्रयागराज में चार दिन से चल रहे छात्रों के आंदोलन के आगे झुकी UPPSC। दो शिफ्ट में परीक्षा कराने का निर्णय वापस लिया गया, RO-ARO परीक्षा स्थगित। छात्रों की एक पाली में परीक्षा की मांग पूरी, राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने किया समर्थन।”
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) द्वारा दो शिफ्ट में प्रारंभिक परीक्षा कराने के निर्णय के विरोध में प्रयागराज में बीते चार दिनों से चल रहे छात्र आंदोलन ने आखिरकार सरकार को झुकने पर मजबूर कर दिया। करीब 20,000 छात्र आयोग के फैसले के खिलाफ सड़क पर उतर आए थे, जिसके चलते UPPSC ने अपना निर्णय वापस लिया है और अब परीक्षा पूर्व की भांति एक ही दिन में कराई जाएगी। इसके साथ ही समीक्षा अधिकारी/सहायक समीक्षा अधिकारी (RO/ARO) परीक्षा भी फिलहाल स्थगित कर दी गई है।
कैसे शुरू हुआ आंदोलन?
परीक्षार्थियों ने UPPSC के दो शिफ्ट में परीक्षा कराने के फैसले का विरोध किया था, क्योंकि इससे उन्हें नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया में असमानता की आशंका थी। छात्रों का मानना था कि परीक्षा एक ही दिन में और एक ही पाली में होनी चाहिए, जिससे किसी तरह की असमानता न रहे। इस फैसले के विरोध में छात्र प्रयागराज में UPPSC के कार्यालय के बाहर बड़ी संख्या में एकत्रित हो गए और लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। उनका कहना था कि UPPSC का यह निर्णय गैर-पारदर्शी और छात्रों के भविष्य के साथ अन्यायपूर्ण है।
UPPSC का निर्णय और छात्रों का आक्रोश
इस दौरान छात्रों और पुलिस के बीच झड़पें भी हुईं। सादी वर्दी में मौजूद पुलिसकर्मियों ने जब प्रदर्शन कर रहे छात्रों को उठाने की कोशिश की तो छात्रों ने इसका कड़ा विरोध किया और एक-दूसरे पर लेटकर पुलिस को रोकने का प्रयास किया। छात्रों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने छात्राओं के साथ भी अनुचित व्यवहार किया। इस घटना के बाद छात्रों का गुस्सा और भड़क गया, और बड़ी संख्या में छात्र आयोग के बाहर जमा हो गए। पुलिस ने आयोग के कार्यालय के आसपास भारी बैरिकेडिंग लगाई थी, लेकिन छात्रों ने इसे तोड़ दिया और आयोग के मुख्य गेट तक पहुंच गए।
सरकार ने लिया फैसला, परीक्षा होगी एक ही दिन में
आखिरकार, गुरुवार को दोपहर में UPPSC के सचिव अशोक कुमार ने छात्रों से मुलाकात की और उनके बीच जाकर घोषणा की कि अब परीक्षा एक ही दिन में कराई जाएगी। RO/ARO परीक्षा-2023 के लिए भी उन्होंने घोषणा की कि एक विशेष समिति का गठन किया जाएगा, जो परीक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेगी और एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही आगे परीक्षा का निर्णय लिया जाएगा।
सचिव ने कहा, “UPPSC छात्रों की चिंताओं को समझता है और उनकी मांगों का आदर करता है। RO/ARO परीक्षा के लिए समिति बनाई जाएगी जो सभी मुद्दों पर विचार करेगी।” उनके इस बयान के बाद छात्रों ने आंदोलन को समाप्त करने का फैसला किया, हालांकि कुछ छात्रों का कहना है कि वे तब तक सतर्क रहेंगे जब तक समिति की रिपोर्ट और सरकार का अंतिम निर्णय सामने नहीं आ जाता।
राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं का समर्थन
छात्रों के इस आंदोलन को राजनीतिक समर्थन भी मिला। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में छात्रों के प्रति सहानुभूति जताते हुए कहा कि प्रयागराज में छात्रों के साथ यूपी सरकार और UPPSC का रवैया असंवेदनशील और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने लिखा, “नॉर्मलाइजेशन के नाम पर असमान और गैर-पारदर्शी परीक्षा प्रणाली छात्रों के भविष्य के साथ अन्याय है। जो छात्र पढ़ाई करने आए हैं, उन्हें सड़कों पर लड़ाई करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।”
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि “शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करने में जुटी भाजपा सरकार की अक्षमता का खामियाजा छात्रों को नहीं भुगतना चाहिए। हम प्रतियोगी छात्रों की मांग का पूरी तरह से समर्थन करते हैं। उनके लोकतांत्रिक अधिकारों को तानाशाही से दबाया नहीं जा सकता।”
छात्रों की मांगें क़्या थीं –
परीक्षा एक ही दिन में हो
छात्रों की पहली मांग थी कि परीक्षा दो शिफ्ट के बजाए एक ही शिफ्ट में कराई जाए, ताकि किसी भी तरह की असमानता न हो।
RO/ARO परीक्षा में पारदर्शिता
छात्रों का कहना था कि RO/ARO परीक्षा की प्रक्रिया को पारदर्शी रखा जाए और सभी छात्रों के लिए एक समान अवसर सुनिश्चित किया जाए।
पुलिस बर्बरता पर जांच
प्रदर्शन के दौरान पुलिस पर छात्रों ने दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था। छात्र इस पर निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे थे।
छात्रों का आगे का रुख
UPPSC द्वारा परीक्षा के संबंध में बदलाव के निर्णय से आंदोलनकारी छात्रों को राहत मिली है, लेकिन छात्र अभी भी इस बात पर अड़े हैं कि यदि समिति की रिपोर्ट में उनकी मांगों का समुचित समाधान नहीं किया गया तो वे फिर से प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि वे अपनी मांगों के प्रति सजग हैं और अगर जरूरत पड़ी तो वे अपने अधिकारों के लिए आगे भी संघर्ष करेंगे।
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यह आंदोलन छात्रों के लिए एक बड़ी जीत है, क्योंकि उन्होंने अपने संघर्ष के बल पर UPPSC को अपने निर्णय में बदलाव करने पर मजबूर कर दिया। छात्रों का यह आंदोलन देशभर के उन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो अपने हक और अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं। सरकार का यह कदम छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ाने में सहायक होगा और उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में परीक्षाओं के आयोजन में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहेगी।
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रिपोर्ट: योगेंद्र मिश्रा