मेरठ: उत्तर प्रदेश के मेरठ में स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने ग्रामीण डाक सेवक (GDS) भर्ती में फर्जी सर्टिफिकेट के जरिए नौकरी दिलाने वाले एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस मामले में 5 गैंग सदस्यों और 6 अभ्यर्थियों समेत कुल 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन सभी को अलीगढ़ पुलिस के हवाले कर दिया गया है, जहां मामले की जांच जारी है।
फर्जी भर्ती का तरीका:
गिरफ्तार आरोपियों पर आरोप है कि वे भर्ती प्रक्रिया में शामिल अभ्यर्थियों से प्रति व्यक्ति 4 लाख रुपए की मांग करते थे। इनमें से 1 लाख रुपए डाक अधीक्षक को दिए जाते थे ताकि डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन में सहुलियत मिल सके। मुख्य आरोपियों में अलीगढ़ के डाक अधीक्षक संजय कुमार सिंह की संलिप्तता भी सामने आई है, जो इस रैकेट के लिए महत्वपूर्ण कड़ी थे।
अपराधियों की पहचान:
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में साजिद अली (अमरोहा), साकिब (हापुड़), और अन्य शामिल हैं, जिनमें चौकल यादव, अभिषेक चौधरी, और हेमंत कुमार जैसे लोग हैं। आरोपियों के पास से मोबाइल फोन और विभिन्न डॉक्यूमेंट्स बरामद हुए हैं, जो उनकी फर्जी गतिविधियों की पुष्टि करते हैं।
भर्ती प्रक्रिया की जानकारी:
STF के एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि देशभर में ग्रामीण डाक सेवक के 44,228 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है। यूपी में इस भर्ती के लिए 5,000 पद उपलब्ध हैं। 15 जुलाई 2024 को इसका नोटिफिकेशन जारी हुआ था और 23 अगस्त 2024 को मेरिट लिस्ट जारी की गई।
फर्जी सर्टिफिकेट का इस्तेमाल:
आरोपी साजिद अली फर्जी मार्कशीट तैयार करता था और उन्हें ऑनलाइन डेटा में डालता था। STF को आरोपियों के पास से कई राज्यों के फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं, जिनमें 18 फर्जी मार्कशीट शामिल हैं। इनका इस्तेमाल भर्ती परीक्षा के लिए किया जा रहा था।
आगे की कार्रवाई:
STF ने आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है ताकि रैकेट के अन्य सदस्यों की पहचान की जा सके। इस मामले ने उत्तर प्रदेश में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं।