लखनऊ।। देश के नाम अपने एक संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार मध्यरात्रि से 500 और 1000 रुपये के नोट को अमान्य घोषित कर दिया है।
केंद्र सरकार के लिए इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैल गई है। जानकारों के मुताबिक आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में बड़ा असर देखने को मिल सकता है।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में मात्र कुछ ही महीने बचे हैं। प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और उनके नेताओं द्वारा चुनाव में खर्च करने के लिए बड़ी मात्रा में धनराशि इकट्ठा करके गुप्त रूप से रखी गई है। अब इन नेताओं द्वारा जमा करके रखी गई इन बड़ी धनराशि को तय समय में बैंकों में जमा कराना होगा। जिसके लिए उन्हें बैंकों में अपना आईडी प्रुफ भी जमा कराना पड़ेगा।
जमाकर्ता के पास गुप्त रूप से रखे गये रुपयों को बैंक में जमा कराना खतरे से कम नहीं है। कालेधन के रूप में जमा करके रखे गए इन रुपयों को जमा कराने के दौरान वह बैंकों और सरकार के नजरों में आ जाएगा। जिसके लिए उसे गिरफ्तार भी किया जा सकता है। और अगर वह इन रुपयों को बैंक में नहीं बदलवाता है तो ये रुपये बेकार साबित हो जाएंगे, जो उसके लिए एक बड़ी समस्या है।
यूपी में जो पैसा कुछ नेताओं ने वोट खरीदने के लिए अब तक जमा करके रखा था वो पूरी तरह से बेकार हो गया। चुनाव आयोग द्वारा आचार संहिता लगने के बाद पैसों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना मुश्किल हो जाएगा। नेताओं द्वारा वोटरों को नोट के जरिए की जाने वाली खरीद फरोख्त भी नहीं की जा सकती है। ऐसे में 500-1000 के नोटों पर लगा प्रतिबंध नेताओं के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है।
केंद्र सरकार द्वारा अचानक 500-1000 के नोटों को बंद करने के फैसले से पार्टी नेताओं को चुनाव प्रचार में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि उन्हें पहले से जमा किए गये रूपयों को बैंकों में जमा करवाना पड़ेगा। इस बीच किसी भी काम के लिए वह अपने प्रतिबंधित नोटों को खर्च नहीं कर सकता है। जिसकी वजह से उनका चुना प्रचार प्रभावित हो सकता है।
चुनाव के मद्देनजर नेता काफी मात्रा में दो नंबर का पैसा जमा करके रखे हुए हैं। इन पैसों का वह चुनाव प्रचार में उपयोग नहीं कर पाएंगे। नेता वोटरों को लुभाने के लिए एक नंबर का ही पैसा खर्च कर सकेंगे। ऐसे में जहां पैसा भी कम खर्च होगें वहीं वोटरों को लुभाने में उन्हें दिक्त का सामना भी करना पड़ेगा।