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मुंबई हाई कोर्ट की लिव इन रिलेशनशिप पर टिप्पणी

‘हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के…’, लिव इन पर HC का बड़ा फैसला

मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े एक मामले में अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि एक हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के को लिव इन में रहने से नहीं रोका जा सकता, यदि वे दोनों यह निर्णय अपनी व्यक्तिगत पसंद के आधार पर लेते हैं।

कोर्ट ने इस मामले में कहा कि एक व्यक्ति को अपने पर्सनल रिलेशनशिप में अपनी पसंद के अनुसार सम्मान के साथ जीने का अधिकार है। यह अधिकार उनका व्यक्तिगत अधिकार है, और केवल समाज की असहमति के आधार पर उन्हें इस निर्णय से रोकना उचित नहीं है।

कोर्ट ने समाज की असहमति के बावजूद लिव इन रिलेशनशिप में रहने के अधिकार को बरकरार रखा। यह फैसला उन जोड़ों के लिए महत्वपूर्ण है जो समाज के दबाव और पूर्वाग्रहों के बावजूद अपने रिश्ते को सम्मान देने का अधिकार रखते हैं।

बॉम्बे हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि दोनों पार्टियां अपनी इच्छा से एक साथ रहना चाहती हैं, तो यह उनकी व्यक्तिगत पसंद और निर्णय का हिस्सा है, और इसे किसी भी बाहरी कारण से बाधित नहीं किया जा सकता।

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