लखनऊ। लखनऊ के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष विजय बहादुर यादव और उनके परिवार के खिलाफ गंभीर आरोपों की जांच तेज कर दी गई है। विजय बहादुर यादव, उनकी पत्नी और वर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष आरती रावत पर कई आरोप लगाए गए हैं, जिनमें जमीन के घपले, सरकारी भूमि के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा, टेंडर घोटाले, निर्माण कार्यों में घूस लेना, अवैध कॉलोनियों का निर्माण, और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करना शामिल हैं।
विजय बहादुर यादव पर आरोप:-
विजय बहादुर यादव पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए जिला पंचायत क्षेत्र में सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किया और फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमीनों की हेराफेरी की। इसके साथ ही, उन पर टेंडरों में हेराफेरी और निर्माण कार्यों के ठेके देने में रिश्वत लेने के भी गंभीर आरोप हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने अवैध कॉलोनियों का निर्माण करवाया और गलत तरीके से मानचित्र पास करवाकर लोगों को भूखंड बेचे। उनके पास आय से अधिक संपत्ति होने के भी सबूत मिले हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि और पार्टी परिवर्तन
विजय बहादुर यादव ने 7 साल तक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में सक्रिय भूमिका निभाई, लेकिन हाल ही में समाजवादी पार्टी (सपा) में शामिल हो गए। बीजेपी के कार्यकाल के दौरान ही उन्होंने अरबों की संपत्ति बनाई, जिसके बाद उनके खिलाफ शिकायतें दर्ज होनी शुरू हुईं। चुनाव के बाद पार्टी छोड़ने के कारण उन पर संदेह और बढ़ गया है।
शासन के आदेश पर जांच में तेजी
शासन से मिले आदेश के बाद जांच में तेजी लाई गई है और कई एजेंसियां इस मामले की गहराई से पड़ताल कर रही हैं। सूत्रों के अनुसार, मामले में ‘बुलडोजर एक्शन’ की भी तैयारी की जा रही है, जिसमें अवैध रूप से निर्मित कॉलोनियों और अन्य संपत्तियों पर कार्रवाई हो सकती है।
सरकार की ओर से जारी इस जांच से साफ है कि विजय बहादुर यादव और उनके परिवार पर लगे आरोपों को लेकर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है। अब देखना यह होगा कि जांच के परिणाम किस दिशा में जाते हैं और क्या विजय बहादुर यादव इस कानूनी शिकंजे से बच पाते हैं या नहीं।
ALSO READ: 40 हजार शिक्षकों और कर्मचारियों को मिली राहत, नियुक्तियों की व्यापक जांच रद्द