Wednesday , October 9 2024
40 हजार शिक्षकों और कर्मचारियों को मिली राहत

40 हजार शिक्षकों और कर्मचारियों को मिली राहत, नियुक्तियों की व्यापक जांच रद्द

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त किए गए 40 हजार से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है। राज्य सरकार ने उनकी नियुक्तियों की जांच का आदेश वापस लेते हुए कहा है कि अब केवल उन मामलों की जांच की जाएगी, जिनमें कोई स्पष्ट शिकायत दर्ज की गई है। इस फैसले को सरकार द्वारा उठाया गया एक अहम कदम माना जा रहा है, जो शिक्षकों और कर्मचारियों में असंतोष को कम करने की दिशा में है।

सरकार ने लिया यूटर्न

शुरुआत में यह योजना बनाई गई थी कि प्रदेश भर के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में की गई नियुक्तियों की व्यापक जांच की जाएगी। यह निर्देश उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान, लखनऊ के पुलिस अधीक्षक द्वारा माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजे गए एक पत्र के बाद आया था, जिसमें भर्ती के दस्तावेज़ और अभिलेख उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया था। इस पत्र के बाद नियुक्तियों पर शक के बादल मंडराने लगे और शिक्षकों और कर्मचारियों में भय का माहौल बन गया था।

हालांकि, राज्य सरकार ने व्यापक विरोध के बाद इस जांच के फैसले पर पुनर्विचार किया और अब यह निर्णय लिया है कि केवल उन्हीं मामलों की जांच की जाएगी, जिनके खिलाफ कोई विशेष शिकायत दर्ज की गई हो। अपर शिक्षा निदेशक ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा कि अब सभी नियुक्तियों की जांच नहीं की जाएगी, जिससे उन हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को बड़ी राहत मिली है, जिनकी नियुक्तियां पहले से ही संदेह के घेरे में आ चुकी थीं।

विरोध और शिक्षक संघों की भूमिका

सरकार के इस निर्णय के बाद शिक्षक संगठनों और संघों ने राहत की सांस ली है। कई शिक्षक संगठनों ने इस जांच का विरोध करते हुए इसे शिक्षकों के मनोबल को गिराने वाला कदम बताया था। उनके अनुसार, एक ही बार में सभी नियुक्तियों की जांच करना न केवल अनुचित था, बल्कि इससे प्रदेश के शैक्षणिक माहौल पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता था। शिक्षक संघों ने जोर देकर कहा कि बिना किसी ठोस सबूत या शिकायत के इस तरह की जांचों से शिक्षक समाज में असुरक्षा की भावना बढ़ेगी और शैक्षिक संस्थानों में काम का माहौल प्रभावित होगा।

अब शिकायतों पर आधारित होगी जांच

अपर शिक्षा निदेशक के अनुसार, अब सरकार की नीति यह होगी कि जिन शिक्षकों और कर्मचारियों के खिलाफ किसी प्रकार की शिकायत दर्ज की जाएगी, केवल उन्हीं मामलों की जांच की जाएगी। इससे उन शिक्षकों को राहत मिलेगी जो किसी प्रकार की शिकायत के बिना ही जांच के दायरे में आ गए थे। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भ्रष्टाचार या अन्य प्रकार की अनियमितताओं के मामलों में जांच की प्रक्रिया जारी रहे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।

नियुक्तियों में अनियमितता के आरोप

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में की गई नियुक्तियों में लंबे समय से अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हैं। कुछ शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव था और कई नियुक्तियां सिफारिश या अन्य अनैतिक तरीकों से की गई थीं। इन्हीं आरोपों के चलते राज्य सरकार पर इन नियुक्तियों की जांच का दबाव बना था।

हालांकि, व्यापक विरोध और शिक्षक संघों की आपत्ति के बाद सरकार ने यह निर्णय लिया कि नियुक्तियों की जांच को सीमित रखा जाए और केवल उन्हीं मामलों में जांच की जाए, जिनमें विशेष शिकायतें दर्ज की गई हों।

सरकार का यह निर्णय शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत है, जो अब बिना किसी ठोस शिकायत के जांच के भय से मुक्त हो गए हैं। शिक्षक संघों ने इस कदम का स्वागत किया है और इसे शिक्षण जगत में सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। अब देखना होगा कि जिन मामलों में शिकायतें दर्ज होती हैं, उनमें जांच कैसे आगे बढ़ती है और राज्य सरकार शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए आगे कौन से कदम उठाती है।

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