भारत सरकार ने जातीय जनगणना 2025 को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। यह जनगणना स्वतंत्र भारत में पहली बार पूरी तरह डिजिटल और तकनीकी रूप से उन्नत होगी। सरकार के सूत्रों के अनुसार, जनगणना की प्रक्रिया अगले 2-3 महीनों में शुरू की जाएगी, जबकि आंकड़े 1-2 साल में सामने आने की संभावना है।
जातीय जनगणना 2025 में देश के सभी नागरिकों की जातियों का रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा, जिसमें मुस्लिम समुदाय की जातियां भी दर्ज होंगी। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि धर्म आधारित आरक्षण की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस बार की जनगणना का तरीका पारंपरिक नहीं होगा। इसे पूरी तरह डिजिटल बनाया गया है। इसमें बायोमेट्रिक सत्यापन, आधार कार्ड, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और जियो-फेंसिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल होगा। इसके लिए मोबाइल ऐप्स और सॉफ्टवेयर पहले ही विकसित किए जा चुके हैं।
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जनगणना में कुल 30 प्रश्न पूछे जाएंगे, जिनमें व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक और जातिगत स्थिति की जानकारी ली जाएगी। सरकार का कहना है कि ये डेटा समाज के कमजोर तबकों की वास्तविक स्थिति को उजागर करेगा और भविष्य की योजनाओं के निर्माण में सहायक होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि जातीय जनगणना 2025 भारत में सामाजिक न्याय की दिशा में एक निर्णायक कदम होगा। आंकड़ों का विश्लेषण पूरा होने के बाद सरकार इन पर आधारित नीतिगत फैसले ले सकती है।