लखनऊ। भारत ने 15 साल बाद Junior Hockey WorldCup जीत लिया है। मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में लगभग 10,000 दर्शकों के बीच आज भारत ने बेल्जियम को 2-1 से हराया।
भारतीय टीम ने इस खिताब पर कब्जा कर लिया। भारत के 2 गोल के जवाब में बेल्जियम मात्र 1 गोल ही दाग पाया।
इससे पहले 2001 में ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में भारतीय टीम ने अर्जेंटीना को 6-1 से हराकर जूनियर विश्व कप जीता था। भारत 2005 में स्पेन से कांस्य पदक का मुकाबला हारकर चौथे स्थान पर रहा था और उस समय भी कोच हरेंद्र सिंह ही थे। 2013 में दिल्ली में हुए टूर्नामेंट में भारत 10 स्थान पर रहा था।
भारतीय कोच हरेंद्र सिंह की मेहनत आखिरकार रंग लाई। भारत के लिये गुरजंत (7वां मिनट) और सिमरनजीत (23वां मिनट) ने गोल किये जबकि बेल्जियम के लिये आखिरी मिनट में पेनल्टी कार्नर पर फेब्रिस वान बोकरिज ने गोल किया।
भारतीयों ने हमले करने का सिलसिला जारी रखा। गुरजंत ने टीम का खाता खोला। पहले हाफ में भारत की 2-0 से बढ़त बरकरार रही।
दूसरे हॉफ में 47वें मिनट में भारत को तीसरा पेनल्टी कार्नर मिला, कप्तान गेंद को रोक नहीं सके। अगले मिनट के भीतर भारत को 2 पेनल्टी कार्नर मिले लेकिन बेल्जियम के गोलकीपर लोइक वान डोरेन ने दोनों शाट बचाए।
आखिरी मिनट में बेल्जियम को मिले पेनल्टी कार्नर को फेब्रिस ने गोल में बदला लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। जूनियर वर्ल्ड कप जीत का खिताब भारतीय टीम के नाम हो गया। इस जीत पर कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके। लोगों के बीच कहीं आंसू के रुप में तो कहीं मुस्कुराहटों के बीच खुशियां देखने को मिली।
भारतीय हॉकी प्रेमियों का ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लगाते दर्शकों का शोर स्टेडियम में गुंजायमान था। मैदान के चारों ओर दर्शक दीर्घा में लहराते तिरंगों और हिलोरे मारते दर्शकों के जोश ने अनूठा समा बांध दिया।
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