“बांग्लादेश इस्कॉन के धर्मगुरु चिन्मय प्रभु को देशद्रोह और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। रिहाई की मांग को लेकर ढाका में प्रदर्शनकारियों ने मुख्य सड़कें जाम कीं।“
बांग्लादेश में इस्कॉन से जुड़े धर्मगुरु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को सोमवार को ढाका पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर देशद्रोह और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप लगाए गए हैं। पुलिस ने उन्हें ढाका के मिंटू रोड स्थित डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) कार्यालय में रखा है।
प्रदर्शनकारियों का विरोध
गिरफ्तारी के बाद चिन्मय प्रभु के समर्थकों ने ढाका के सहबाग इलाके में मुख्य सड़क को जाम कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाते हुए कहा, “हम न्याय के लिए मरेंगे, हम इसके लिए लड़ेंगे।”
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चिन्मय प्रभु निर्दोष हैं और उन पर लगाए गए आरोप राजनीतिक साजिश के तहत किए गए हैं।
चिन्मय प्रभु पर आरोप
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चिन्मय कृष्ण दास प्रभु पर धार्मिक भावनाओं को भड़काने और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप हैं। हालांकि, उनके सहायक आदि प्रभु का कहना है कि इन आरोपों का कोई आधार नहीं है और यह धार्मिक समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश है।
बांग्लादेश में तनावपूर्ण स्थिति
चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी के बाद ढाका और अन्य शहरों में इस्कॉन समर्थकों के प्रदर्शन तेज हो गए हैं। पुलिस ने हालात को संभालने के लिए इलाके में सुरक्षा बढ़ा दी है।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए मुखर रहने वाले और चटगांव इस्कॉन पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय प्रभु (चिन्मय कृष्णन दास) को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें ढाका हवाई अड्डे से उस समय हिरासत में लिया गया, जब वह एक अन्य कार्यक्रम में भाग लेने जा रहे थे।
चिन्मय प्रभु हाल ही में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनकी सुरक्षा के मुद्दों पर मुखर रहे हैं। शुक्रवार को उन्होंने रंगपुर में एक विशाल विरोध रैली को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने शेख हसीना सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की थी।
गिरफ्तारी से पहले, चिन्मय प्रभु ने हिंदू समुदाय को एकजुट होने और अपने अधिकारों के लिए संगठित तरीके से आवाज उठाने का आह्वान किया था। उन्होंने बांग्लादेश में धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यक अधिकारों के हनन पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी आवाज उठाई थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरफ्तारी बांग्लादेश सरकार की आलोचनाओं से निपटने की रणनीति का हिस्सा हो सकती है। हिंदू समुदाय में इस घटना को लेकर भारी रोष है और वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाने की योजना बना रहे हैं।
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मनोज शुक्ल