“महाकाल की दिवाली: उज्जैन में महाकाल मंदिर का दिव्य दीपोत्सव, चांदी के सिक्कों का पूजन, फुलझड़ी की आरती और रूप चौदस का विशेष आयोजन। जानें महाकाल की विशेष दिवाली पूजा।”
उज्जैन। दीपोत्सव का महाकाल मंदिर में भव्य आयोजन शुरू हो चुका है। सोमवार, 28 अक्टूबर से फुलझड़ी की आरती के साथ महाकाल की संध्या पूजा से दीपोत्सव का प्रारंभ हुआ। मंदिर का आंगन रंगीन लाइटिंग से जगमगा रहा है, जो इसे अद्वितीय और अलौकिक स्वरूप प्रदान कर रहा है। मंगलवार को कलेक्टर नीरज कुमार सिंह और एसपी प्रदीप शर्मा ने धनतेरस की पूजा की। इस दौरान 22 पुजारियों ने महाकाल, कुबेर और चांदी के सिक्कों का अभिषेक और पूजन किया।
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31 अक्टूबर को महाकाल मंदिर में रूप चौदस और दीपावली एक साथ मनाई जाएगी। इस दिन महाकाल को उबटन लगाकर विशेष श्रृंगार किया जाएगा और गर्भगृह में अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाएगा। शाम को कोटि तीर्थ कुंड में दीपमालाएं सजाई जाएंगी। इस खास मौके पर बाबा महाकाल को गर्म जल से स्नान कराने की परंपरा शुरू होती है, जो ठंड के आगमन के प्रतीक के रूप में फाल्गुन पूर्णिमा तक जारी रहती है।
4 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार से महाकाल की सवारी निकाली जाएगी, जिसमें महाकाल को चांदी की पालकी में नगर भ्रमण कराया जाएगा।
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रिपोर्ट -मनोज शुक्ल