लखनऊ। राज्यपाल राम नाईक ने मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. नसीम जैदी को दोबारा पत्र लिखकर कहा कि बलिया की रसड़ा विधान सभा सीट से विधायक उमाशंकर सिंह के मामले में निकट भविष्य में प्रस्तावित उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जल्द निर्णय लेकर उन्हें भी अवगत कराया जाए, जिससे वे संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत विधायक की सदस्यता के संबंध में अंतिम फैसला ले सकें।
राज्यपाल ने पत्र में उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा बीती 28 मई को चुनाव आयोग को जल्द निर्णय लेने के आदेश का भी हवाला दिया है। उन्होंने पत्र में कहा कि निर्णय करने में अनावश्यक विलंब से मीडिया और आम जनता में निर्वाचन आयोग के प्रति गलत संदेश जा रहा है।
राज्यपाल ने इससे पहले बीती 9 अगस्त को विधायक के सदस्यता के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र भेजा था, जिसके जवाब में चुनाव आयोग ने बीती पहली सितम्बर को पत्र से अवगत कराया था कि मामले की जांच पूरी होने पर आयोग द्वारा जल्द उन्हें अभिमत से अवगत कराया जाएगा।
राज्यपाल ने बीती 16 सितम्बर को इस संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त से फोन पर बातचीत भी की थी जिस पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने मामले पर जल्द निर्णय लेने की बात कही थी। इसके बाद राज्यपाल ने बीती पांच नवम्बर को इस संबंध में एक रिमाइंडर लेटर भी भेजा था। गौरतलब है कि मौजूदा विधानसभा का चुनाव मार्च, 2012 में सम्पन्न हुआ था और निर्वाचन आयोग द्वारा चुने गए विधायकों को 6 मार्च, 2012 को निर्वाचित घोषित किया गया था।
उमाशंकर सिंह वर्ष 2009 से सरकारी ठेके लेकर सड़क निर्माण का काम करते आ रहे थे। उत्तर प्रदेश के लोकायुक्त न्यायमूर्ति एनके. मेहरोत्रा ने शिकायत के आधार पर सरकारी कांट्रैक्ट लेने के आरोप में विधायक उमाशंकर को दोषी पाते हुये मुख्यमंत्री को अपनी जांच रिपोर्ट भेजी थी जिसे मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को भेज दिया था।
राज्यपाल ने मामले में भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली की उनकी राय पूछी थी। भारत निर्वाचन आयोग से 03 जनवरी, 2015 को राय मिलने के बाद उमाशंकर सिंह ने राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिये समय दिये जाने का अनुरोध किया था जिसे स्वीकार करते हुये राज्यपाल ने 16 जनवरी 2015 को भेंट कर उनका पक्ष सुना। इसके बाद राज्यपाल ने आरोपों को सही पाते हुये उमाशंकर सिंह को विधायक निर्वाचित होने की तिथि 6 मार्च, 2012 से विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया था।
राज्यपाल के निर्णय के विरूद्ध अयोग्य घोषित विधायक उमाशंकर सिंह ने उच्च न्यायालय इलाहाबाद में वाद दायर किया था, जिस पर 28 मई, 2016 को निर्णय देते हुये न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग प्रकरण में स्वयं जांच कर निर्णय से राज्यपाल को अवगत कराये और उसके बाद राज्यपाल प्रकरण में संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत अपना निर्णय लें। इस प्रकरण में तेजी से निर्णय करने के बारे में राज्यपाल ने निर्वाचन आयोग को बीती 14 दिसम्बर को पत्र लिखा है।