“दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मार्शल लॉ की घोषणा की। विपक्षी सांसदों की गिरफ्तारी और राजनीतिक सभाओं पर रोक के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। संसद ने मार्शल लॉ हटाने का प्रस्ताव पास किया“
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक येओल ने मंगलवार देर रात देश में आपातकालीन मार्शल लॉ की घोषणा की। उन्होंने इसे “उत्तर कोरिया समर्थक ताकतों” और “देश विरोधी तत्वों” पर नियंत्रण का प्रयास बताया। यह कदम तब उठाया गया, जब विपक्षी दलों ने सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किए और संसद में बहुमत के दम पर विरोध तेज कर दिया।
विरोध और सांसदों की गिरफ्तारी
मार्शल लॉ लागू होने के बाद से ही देशभर में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के लगभग 70 सांसद संसद के अंदर धरने पर बैठ गए, जबकि अन्य सैकड़ों समर्थक संसद भवन के बाहर इकट्ठा हो गए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव भी हुआ।
सेना का सख्त रुख
दक्षिण कोरियाई सेना ने कहा कि संसद और राजनीतिक दलों की सभी गतिविधियाँ निलंबित रहेंगी। मीडिया और प्रकाशन गृहों को भी सेना के नियंत्रण में रखा गया है।
संसद का प्रस्ताव
बुधवार को संसद ने 300 में से 190 सदस्यों की उपस्थिति में मार्शल लॉ हटाने का प्रस्ताव पास किया। विपक्षी नेता ने इसे “असंवैधानिक” करार देते हुए राष्ट्रपति यून पर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया।
लोकतांत्रिक संकट का खतरा
यह 1980 के बाद पहला मौका है जब दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ लागू हुआ है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम देश के लोकतांत्रिक ढांचे को बड़ा झटका दे सकता है।
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मनोज शुक्ल
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