नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश में विधायक निधि स्कीम को वैध ठहराया है । चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि लोकतंत्र में चुने हुए प्रतिनिधियों का अहम रोल है ।
इस स्कीम का लोकप्रहरी नामक संस्था के महासचिव एसएन शुक्ला ने चुनौती देते याचिका दायर की थी । लोकप्रहरी ने इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी जहां उसे खारिज कर दिया गया था ।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायक निधि स्कीम धारा 243ZD और यूपी प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट 1999 का उल्लंघन नहीं करती है । लोकतंत्र में जनप्रतिनिधियों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है जो अपने क्षेत्रों में इस निधि के जरिये विकास कार्यों को अंजाम देते हैं ।
यूपी सरकार 1998-99 के बजट में इस स्कीम को लायी थी जिसके तहत विधायकों को 50 लाख रुपये का आवंटन करने का प्रावधान था । 2000-2001 में यूपी सरकार ने इस निधि के लिए राशि बढ़ाकर 75 लाख कर दी थी ।
लोकप्रहरी ने 2004 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस स्कीम की संवैधानिकता को चुनौती दी थी । हाईकोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि सरकार इस स्कीम के लिए 75 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव कर रही है जिस पर रोक लगाया जाए ।
हाईकोर्ट ने 13 मई 2013 को संविधान की धारा 226 के तहत इस याचिका को खारिज कर दिया था । जिसके बाद लोकप्रहरी ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी ।