मुसाफिरखाना/अमेठी: बुद्धिस्ट सोसाइटी आफ इंडिया की ओर से शुक्रवार को बौद्ध विहार टांडा और अढनपुर में सचल श्रामणेर प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में श्रामणेर दीक्षा प्राप्त करने वाले नव बौद्ध भिक्षुओं का नामकरण किया गया और उन्हें बौद्ध भिक्षुओं के जीवन के साथ-साथ तथागत बुद्ध के धम्मोपदेशों के बारे में विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
इस कार्यक्रम में मुम्बई से आए केंद्रीय प्रशिक्षक ए.वाई. सांवडे और बौद्ध भिक्षु भंते बुद्ध रत्न ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया। भंते बुद्ध रत्न ने तथागत बुद्ध के प्रथम पांच शिष्यों और उनके धम्मोपदेश के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कहा, “तथागत ने मानवता और शांति का संदेश दिया। वर्तमान में दुनिया में बढ़ती आतंक और हिंसा की घटनाएं मानवता के लिए घातक हैं।” उन्होंने बौद्ध धम्म की शिक्षाओं को गांव-गांव पहुंचाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
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केंद्रीय प्रशिक्षक ए.वाई. सांवडे ने कहा, “द बुद्धिस्ट सोसाइटी आफ इंडिया बोधिसत्व बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर की मंशा के अनुरूप घर-घर बौद्ध धम्म के दीप जलाने के लिए निरंतर प्रयासरत है।” उन्होंने यह भी कहा कि बौद्ध धम्म में अंधविश्वास और अवैज्ञानिकता के लिए कोई स्थान नहीं है।
द बुद्धिस्ट सोसाइटी आफ इंडिया के जिला अध्यक्ष डॉ. इन्द्र पाल ने बताया कि इस दस दिवसीय शिविर में वैज्ञानिक चेतना की मशाल जलाकर लोगों को “बुद्धं शरणं गच्छामि” का संदेश दिया जा रहा है।
इस अवसर पर प्रदेश उपाध्यक्ष श्याम बहादुर बौद्ध, दयाराम बौद्ध, अनिल कुमार बौद्ध, बौद्धाचार्य गंगा प्रसाद, रामकरन सहित कई अन्य सदस्य भी मौजूद रहे। इस शिविर ने बौद्ध धम्म के प्रति जागरूकता फैलाने और उसके शिक्षाओं को जीवन में अपनाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।