मुरैना। मुरैना के इस्लामपुरा में पटाखों के गोदाम में हुए विस्फोट से ढहे मकानों में चल रहे 20 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मां बेटी के शव को निकाल लिया गया है। दोनों के शव बाइके के पास मिले हैं। रविवार सुबह करीब 8 बजे शव मिले। दो जेसीबी की मदद से रेस्क्यू टीम पूरी रात मलबा हटाने में जुटी रही।
दरअसल इस्लामपुरा में शनिवार दोपहर करीब 12 बजे 2 मंजिला मकान में ब्लास्ट हुआ था। विस्फाेट इतना जबरदस्त था कि आसपास के 4 मकान धराशाई हो गए। मकान में रहने वाले जमील खान की पत्नी अंजू बेगम और 16 वर्षीय बेटी सायना मलबे में दब गई थी। विस्फोट के बाद शनिवार 1 बजे से मां बेटी को मलबे से निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। लेकिन देर रात तक मलबे को अलट पलट कर दिया गया था और जमीन के तीन फीट नीचे तक खुदाई कर दी गई थी। लेकिन मां बेटी नहीं मिले थे।
आशंका जताई जा रही थी कि मां बेटी कहीं छिप गई हैं। फिर भी एसडीआरएफ ने रात भर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रखा। रविवार सुबह मकान के एक किनारे दीवार व बाइक के बीच में पहले मां का शव मिला। इसके बाद जब और मलबा हटाया गया तो बेटी का शव भी मिल गया। करीब 20 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद शवों को निकाला जा सका।
रेस्क्यू करने वाले एसडीआरएफ प्रभारी अजय गौड़ ने बताया, जब हम रेस्क्यू कर रहे थे। एक शव का पैर बाहर दिखा। हमने उसी जगह खुदाई शुरू की। यहां बाइक निकली, उसके नीचे दोनों शव मिले। प्रशासन का दावा है कि ब्लास्ट सिलेंडर फटने से हुआ, लेकिन मौके से पटाखों के रैपर मिले हैं। वहीं, पड़ोसियों का कहना है कि ब्लास्ट बारूद के फटने से हुआ है।
जमील पिज्जा का ठेला लगाता है। उसे पुलिस ने हिरासत में लिया है। पूछताछ में जमील ने बताया कि किचन में एलपीजी गैस के दो सिलेंडर रखे थे। एक भरा था और दूसरा आधा खाली था। उसके एक रिश्तेदार के पास पटाखा बनाने का लाइसेंस है। वह दिवाली पर पटाखा बनाने का काम करता है। घर में दो पेटी बारूद रखी थी। कुछ बारूद पिछले साल की बची थी।
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