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रतन टाटा ने अपने जीवन में अनेक उपलब्धियाँ हासिल कीं और भारतीय उद्योग जगत को एक नई दिशा दी। उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा

रतन टाटा का निधन: भारत के प्रतिष्ठित उद्योगपति का अंतिम सफर

मुंबई: भारतीय उद्योग के एक महान नेता, रतन नवल टाटा, का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली, जहां वह पिछले कुछ दिनों से भर्ती थे। उनकी मृत्यु की खबर बुधवार देर रात आई। उनके निधन पर टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखर ने गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि रतन टाटा केवल एक चेयरपर्सन नहीं थे, बल्कि मेरे लिए एक गुरु, मार्गदर्शक और मित्र थे।

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रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने 1990 से 2012 तक टाटा ग्रुप का नेतृत्व किया और उस दौरान कंपनी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनके मार्गदर्शन में, टाटा ग्रुप ने एअर इंडिया जैसे प्रतिष्ठित ब्रांड को अपने नियंत्रण में लिया और विदेशी कंपनियों जैसे फोर्ड के लग्जरी ब्रांड, लैंड रोवर और जगुआर को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल किया।
उनकी अंतिम दिनों में, 7 अक्टूबर को, रतन टाटा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर कर कहा था कि वे स्वास्थ्य के ठीक हैं और अस्पताल केवल रुटीन चेकअप के लिए गए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि “चिंता की कोई बात नहीं है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर और दयालु आत्मा कहा। उन्होंने कहा, “रतन टाटा का योगदान बोर्ड रूम से कहीं आगे तक गया। उनकी विनम्रता और समाज को बेहतर बनाने के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने उन्हें सभी का प्रिय बना दिया।”

रतन टाटा की उपलब्धियाँ

शिक्षा: हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से मैनेजमेंट की पढ़ाई।

सम्मान: पद्म विभूषण (2008) और पद्म भूषण (2000) से सम्मानित।

महत्वपूर्ण निर्णय: 1998 में टाटा मोटर्स द्वारा स्वदेशी कार टाटा इंडिका का लॉन्च।

खरीददारी: 2008 में फोर्ड के लग्जरी ब्रांड लैंड रोवर और जगुआर की खरीद।

एक प्रेरणादायक कहानी:

1998 में टाटा मोटर्स ने टाटा इंडिका को लॉन्च किया, लेकिन इसे सफल नहीं मिल पाई। उस समय फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने टाटा पर सवाल उठाया कि उन्होंने पैसेंजर कार डिवीजन क्यों शुरू किया। इस अपमान को टाटा ने सहन नहीं किया। 2008 में वैश्विक मंदी के दौरान, जब फोर्ड दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई, रतन टाटा ने उनके प्रतिष्ठित ब्रांड्स को 2.3 बिलियन डॉलर में खरीदकर उन्हें करारा जवाब दिया।

रतन टाटा ने अपने जीवन में अनेक उपलब्धियाँ हासिल कीं और भारतीय उद्योग जगत को एक नई दिशा दी। उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा

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