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सीता स्वयंवर की पावन कथा में भक्तों ने लिया रसपान

सीता स्वयंवर की पावन कथा में भक्तों ने लिया रसपान

हरदोई, शाहाबाद। गांव खुमारीपुर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथा व्यास अनामिका ने भक्तों को सीता स्वयंवर की दिव्य कथा सुनाई। कथा पंडाल में ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि श्यामू त्रिवेदी भी उपस्थित रहे और भगवान की कथा का आनंद लिया।

कथा के दौरान अनामिका ने बताया कि माता सीता, महान राजाओं को देखकर चिंतित थीं। उन्होंने मन में विचार किया कि यदि राजा दशरथ ने किसी द्वारपाल या सैनिक को स्वयंवर में भेजा, तो वह धनुष को आसानी से उठा लेगा। इस चिंता में वह श्रीराम की बाट निहार रही थीं।

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कथा व्यास ने बताया कि सीता के पिता, राजा जनक, भगवान शिव के वंशज हैं और उनके राजमहल में शिव का धनुष रखा हुआ था। उन्होंने घोषणा की थी कि जो इस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाएगा, वही उनकी पुत्री सीता से विवाह करेगा। यह धनुष साधारण नहीं था, बल्कि उस काल का ब्रह्मास्त्र माना जाता था, और इसके संचालन की विधि केवल राजा जनक, माता सीता, आचार्य परशुराम और आचार्य विश्वामित्र को ज्ञात थी।

राजा जनक को यह डर था कि यदि धनुष रावण के हाथ लग गया, तो सृष्टि का विनाश हो जाएगा। इसलिए विश्वामित्र ने पहले ही भगवान राम को धनुष के संचालन की विधि बता दी थी। जब श्री राम ने धनुष को उठाया, तो वह टूट गया, जिससे परशुराम जी क्रोधित हो गए। लेकिन आचार्य विश्वामित्र और श्रीराम-लक्ष्मण के समझाने पर उनका क्रोध शांत हुआ।

जब श्रीराम ने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाई, तो वह टूट गया और देवगण पुष्प वर्षा करने लगे। इसके बाद माता सीता और श्रीराम का विवाह सम्पन्न हुआ।

कथा के समापन पर भक्तों ने भगवान की आरती उतारी और प्रसाद का वितरण किया। इस आयोजन को सफल बनाने में आयोजक टीम के सदस्य रोहित तिवारी, प्रमोद तिवारी, डॉक्टर जगन्नाथ राठौर, नवल सिंह यादव और प्रधान वेदराम राठौर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आए हुए अतिथियों का आभार व्यक्त किया।

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