लखनऊ, 14 मई — सब्जी और फलों की खेती अब उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए समृद्धि की नई राह बन रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राज्य सरकार ने इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रफल, उत्पादन, गुणवत्ता और प्रसंस्करण पर ज़ोर दिया है।
2022 से 2027 तक बागवानी फसलों का क्षेत्रफल 11.6% से बढ़ाकर 16% करने और प्रसंस्करण को 6% से 20% तक पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए सरकार ने 11000 करोड़ रुपये के निवेश का प्रावधान किया है। इस बदलाव में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन (PMFME) योजना की भूमिका अहम है।
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पानी की कमी वाले इलाकों में कम पानी में अधिक उपज पाने के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर विधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। योगी सरकार के पहले कार्यकाल तक 2.64% भूमि ही इन विधाओं से सिंचित थी, जिसे अब 2027 तक 10 लाख हेक्टेयर (9%) करने का लक्ष्य है।
सरकार सब्जी और फलों की खेती की गुणवत्ता सुधारने के लिए उन्नत पौधों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रही है। इसके तहत प्रत्येक जिले में दो-दो सेंटर फॉर एक्सीलेंस की स्थापना की जा रही है, जो इजराइल और नीदरलैंड की तकनीकी सहायता से विकसित हो रहे हैं।
संरक्षित खेती भी सरकार के प्रमुख एजेंडे में शामिल है। 500 हेक्टेयर पर पॉलीहाउस और शेडनेट संरचनाएं लगाने का लक्ष्य है। इनमें तापमान और नमी नियंत्रित रहती है, जिससे बेमौसम उपज भी संभव हो पाती है। इनका बाज़ार मूल्य भी अधिक होता है, जिससे किसानों को अतिरिक्त लाभ मिलता है।
खेती के विविधीकरण पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। पारंपरिक धान-गेहूं की फसल के स्थान पर मशरूम, मधुमक्खी पालन, फल और सब्जियों की खेती के लिए सरकार 2027 तक 2.10 लाख किसानों को प्रशिक्षण देने जा रही है।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश आम, अमरूद, आंवला, आलू, मटर, गोभी और लता वर्गीय सब्जियों के उत्पादन में पहले स्थान पर है। तकनीक के समावेश से इनकी उत्पादकता और भी बढ़ाई जा सकती है, यही कारण है कि सेंटर फॉर एक्सीलेंस की योजना सरकार की दीर्घकालिक सोच का हिस्सा है।
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