हलिया (मिर्जापुर)। सत्कर्म करने के लिए प्रेरित करती है श्रीमद्भागवत कथा, यह बात श्रीधाम वृंदावन से पधारे भागवताचार्य बद्रीश जी महाराज ने सोमवार को बबुरा रघुनाथ सिंह गांव (कठारी) में श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि केवल श्रवण मात्र से मनुष्य पाप और संताप से मुक्त हो सकता है तथा भगवान के परमधाम को प्राप्त कर सकता है।
कथा के दौरान बद्रीश जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य को सन्मार्ग पर चलना सिखाती है और उसे सत्कर्मों के लिए प्रेरित करती है। भगवान अपने भक्तों से कभी दूर नहीं रहते — जब भक्त निस्वार्थ प्रेम से उन्हें पुकारते हैं तो वे दौड़े चले आते हैं। कथा व्यास ने कहा कि जीवन के कष्ट, मोह और मृत्यु का भय केवल ईश्वर के नाम और कथा श्रवण से समाप्त हो सकता है।
उन्होंने सनत कुमार और नारद जी के मिलन, नारद–व्यास संवाद, राजा परीक्षित द्वारा कलि निग्रह और धुन्धकारी की कथाओं का भी उल्लेख किया, जिससे उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो गए। कथा श्रवण के माध्यम से भक्ति, ज्ञान और वैराग्य के भावों का समन्वय होता है। बद्रीश जी ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को शुकदेव जी महाराज ने राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत सुनाई थी, जिससे उनके मन से मृत्यु का भय समाप्त हो गया।
कथा पंडाल में भक्ति रस से सराबोर श्रद्धालुओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। आयोजन समिति की ओर से मणि प्रसाद मिश्र, मालती मिश्र, सुधा जायसवाल, पंडित शिव शंकर द्विवेदी, अशोक मिश्र, शंकर सिंह, विजय बहादुर सिंह, पुष्पेंद्र सिंह, भगवान प्रसाद द्विवेदी और राकेश तिवारी सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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कथा के अंत में आरती और प्रसाद वितरण का आयोजन हुआ, जिससे श्रद्धालुओं का उत्साह और भक्ति भाव और अधिक गहराया। श्रीमद्भागवत कथा की महिमा और उसका आध्यात्मिक प्रभाव हर श्रोता के अंतर्मन को स्पर्श कर गया।
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