नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों में व्यवस्था को लेकर नाराज दिखी ।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि प्राथमिक स्कूलों में पढऩे वाले बच्चे दरी या बोरे पर क्यों बैठते हैं? उनको बैठाने के लिए बेंच या कुर्सियों की व्यवस्था क्यों नहीं की जाती है?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सरकारी स्कूलों के जो स्थिति बेहद खराब हैं। कोर्ट ने सरकार से प्राइमरी स्कूलों में शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं की जानकारी मांगी है।
सरकार इन स्कूलों में बिजली, पानी और शौंचालय तक की बुनियादी सुविधाएं भी मुहैया कराने में नाकाम है। बेसिक स्कूलों की इस दुर्दशा को यूपी सरकार के अच्छे शासन का प्रतीक नहीं माना जा सकता। यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट ने स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव संबंधी एक रिपोर्ट देखने के बाद की।
कृष्ण प्रकाश त्रिपाठी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने प्रमुख सचिव प्राथमिक शिक्षा को निर्देश दिया है कि वह अधिकारियों के साथ बैठक कर कार्ययोजना तय करे और कोर्ट को इस बारे में जानकारी दे।
याची का कहना है कि सरकारी प्राथमिक स्कूलों में बच्चों के बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है। बच्चे बोरे या दरी पर बैठकर पढ़ते हैं। सर्दी-गर्मी और बरसात हर मौसम में उनको जमीन पर ही बैठाकर पढ़ाया जाता है।
इसके अलावा स्कूलों में शौचालय और पेयजल जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की भी कमी है। कोर्ट ने प्रमुख सचिव को निर्देश दिया है कि सुनवाई की अगली तिथि 14 दिसम्बर को न्यायालय को अवगत कराया जाए कि क्या प्रबंध किए जा रहे हैं।
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