“राजस्थान के भरतपुर जिले में सिलिकोसिस बीमारी ने कहर बरपाया। रूपवास और बयाना के गांवों में 650 मौतें हो चुकी हैं। 90% लोग गंभीर स्थिति में। बीमारी का कारण पत्थरों और मार्बल की धूल।”
भरतपुर। राजस्थान के भरतपुर जिले के रूपवास और बयाना में सिलिकोसिस बीमारी ने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। यहां सैकड़ों लोग इस जानलेवा बीमारी से जूझ रहे हैं। एक गांव में स्थिति इतनी भयावह है कि 90% लोग मौत के कगार पर पहुंच चुके हैं। अब तक 650 लोग इस बीमारी की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके हैं।
क्या है सिलिकोसिस बीमारी?
सिलिकोसिस एक खतरनाक फेफड़ों की बीमारी है, जो मुख्य रूप से उन लोगों को प्रभावित करती है, जो पत्थरों, मार्बल और खदानों में काम करते हैं। पत्थरों और मार्बल से निकलने वाली महीन धूल फेफड़ों में जमा हो जाती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। यह स्थिति धीरे-धीरे फेफड़ों को पूरी तरह निष्क्रिय कर देती है।
इलाज की कमी, मौत तय
इस बीमारी का अब तक कोई प्रभावी इलाज उपलब्ध नहीं है। जो भी इस बीमारी की चपेट में आता है, उसकी मौत लगभग निश्चित है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और स्वास्थ्य विभाग की ओर से पर्याप्त सहायता नहीं मिल रही है।
ग्रामीणों की पीड़ा
रूपवास और बयाना के कई गांव इस बीमारी से सबसे अधिक प्रभावित हैं। एक ग्रामीण ने कहा, “हमारे गांव में हर घर से किसी न किसी की जान जा चुकी है। यहां जीना मुश्किल हो गया है।”
सरकारी प्रयास नाकाफी
हालांकि राज्य सरकार ने सिलिकोसिस से निपटने के लिए योजनाएं बनाई हैं, लेकिन जमीन पर इनका असर बहुत कम दिखाई देता है। बीमार लोगों के इलाज और पुनर्वास के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं।
सिलिकोसिस बीमारी राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में एक गंभीर स्वास्थ्य आपदा बन चुकी है। इस संकट से निपटने के लिए त्वरित और प्रभावी सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता है।
विशेष संवाददाता: मनोज शुक्ल
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