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Telangana elections 2018: TRS की बड़ी जीत का श्रेय KCR की कुशल रणनीति को दिया, धरी रह गई कांग्रेस से लेकर BJP की चाल

 तेलंगाना विधानसभा चुनाव (Telangana elections Result 2018) में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) ने रुझानों में प्रचंड बहुमत की ओर कदम बढ़ा दिए हैं. अब तक 119 सीटों के आए रुझानों में टीआरएस को 95, कांग्रेस+ को 17 और बीजेपी की 3 सीटों पर बढ़त बनी हुई है, जबकि 4 सीटों पर अन्य की बढ़त है. टीआरएस की इस बड़ी जीत का श्रेय मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) की कुशल रणनीति को दिया जा रहा है. आंध्र प्रदेश से अलग होने के बाद तेलंगाना में यह पहला चुनाव है, जिसमें TRS बाजी मारती दिख रही है. आइए उन 5 वजहों पर नजर डालते हैं जिसकी वजह से तेलंगाना में टीआरएस को इतनी बड़ी जीत मिली है.

केसीआर का पहले चुनाव घोषित करना

तेलंगाना की मौजूदा सरकार का कार्यकाल अप्रैल 2019 तक का था, लेकिन मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने करीब आठ महीने पहले ही विधानसभा भंग करने का ऐलान कर दिया. उनका यह दांव सही साबित हुआ है. केसीआर का मानना है कि लोकसभा चुनाव के दौरान विधानसभा चुनाव होने पर राज्य में प्रचार के दौरान राष्ट्रीय मुद्दे हावी हो जाएंगे. साथ ही अगर किसी राष्ट्रीय पार्टी की लहर की नौबत आई तो भी टीआरएस को इसका नुकसान हो सकता था. इन दोनों संभावनाओं से खुद बचाने के लिए केसीआर ने समय से पहले चुनाव का ऐलान कर दिया जो उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ.

प्रत्याशियों को TRS ने दिया प्रचार करने का पर्याप्त मौका

मुख्यमंत्री केसीआर ने विधानसभा भंग करने के साथ ही 119 में से 105 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए थे. इस वजह से टीआरएस के प्रत्याशियों को प्रचार करने के पर्याप्त मौके मिले. पहली बार चुनाव होने के चलते प्रत्याशियों को अपने इलाकों में जाने के काफी मौके मिले. टीआरएस के नेता अपनी सरकार के कामों को जनता तक पहुंचाने में सफल रहे. दूसरी तरफी कांग्रेस, टीडीपी, सीपीआई और तेलंगाना जन समिति के बीच काफी देर से गठबंधन बन पाया. इस वजह से इस गठबंधन के प्रत्याशियों को प्रचार तक करने के पर्याप्त मौके नहीं मिल पाए.

टीआरएस से जनता की खास सहानुभूति

तेलंगाना चुनाव में पूरे प्रचार पर गौर करें तो मुख्यमंत्री केसीआर और उनकी पार्टी टीआरएस हर रैली में यह कहते दिखे कि कांग्रेस और टीडीपी साथ मिलकर लड़ रही है. यही टीडीपी तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग नहीं होने देना चाहती थी. चंद्रबाबू नायडू ने तेलंगाना बनने में अड़ंगा लगा रखा था. टीआरएस हमेशा से तेलंगाना के लिए संघर्ष करती रही. इन बातों के जरिए टीआरएस सहानुभूति वोट जुटाने में सफल रही है.

किसानों को लुभाने में सफल रही केसीआर सरकार

तेलंगाना की राजनीति पर नजर रखने वाले लोग बताते हैं कि केसीआर सरकार ने शुरुआत से ही किसानों को ध्यान में रखकर योजनाएं लागू करती रही. सीएम केसीआर ने किसानों को 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराने में सफल रहे. आलम यह दिखा था कि किसानों ने 24 घंटे बिजली मिलने का विरोध तक किया था. किसानों ने यहां तक कहा था कि उन्हें डर है कि लगातार बिजली दिए जाने से ज़मीन से पानी की निकासी अधिक होगी और उन्हें भविष्य में सूखा का सामना करना पड़ेगा. इसके अलावा शादी मुबारक और कल्याण लक्ष्मी योजना से भी केसीआर को काफी फायदा मिला. इन दोनों योजनाओं में बेटी की शादी कराने के बदले एक लाख रुपए दिए जाते हैं. 

केसीआर के लिए फायदेमंद रहा ओवैसी से दोस्ती

टीआरएस ने असुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM को साथ लिया था, जिसका उन्हें फायदा हुआ है. ओवैसी की पार्टी ने तेलंगाना में आठ प्रत्याशी खड़े किए थे. इन सीटों पर टीआरएस ने भी उम्मीदवार उतारे थे. इसके पीछे मकसद था कि टीआरएस प्रत्याशी हिंदू वोट काटेंगे जिसका टीआरएस को सीधा फायदा होगा. इसके अलावा ओवैसी ने राज्य की बाकी सभी सीटों पर टीआरएस को समर्थन दिया था. इसके अलावा ओवैसी बंधू बीजेपी को उलझाए रहे. चुनाव प्रचार पर नजर डालें तो बीजेपी के नेता ओवैसी पर हमले करते रहे, जबकि पूरे तेलंगाना में ओवैसी का खास प्रभाव नहीं है. इसका भा फायदा टीआरएस को मिला है.

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