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मीडिया के कामकाज में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए: मोदी

 

miनई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि मीडिया के कामकाज में सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। उन्होंने पत्रकारों की हाल में हुई हत्याओं पर भी चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यह बहुत ‘दर्दनाक’ है और सच्चाई को दबाने का सबसे खतरनाक तरीका है।

भारतीय प्रेस परिषद  के स्वर्ण जयंती समारोह में पीएम मोदी ने मीडिया द्वारा स्व नियमन चाहे जाने पर अपनी बात के समर्थन में महात्मा गांधी का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा, ‘महात्मा गांधी ने कहा था कि बेलगाम लेखन भारी समस्याएं पैदा कर सकता है लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि बाहरी हस्तक्षेप अव्यवस्था पैदा करेगा।

मीडिया को बाहर से नियंत्रित करने की कल्पना नहीं की जा सकती।’ उन्होंने कहा, ‘सरकार को कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। यह सच है कि स्व नियमन आसान नहीं है।

यह पीसीआई और प्रेस से जुड़ी अन्य संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे देखें कि आप समय के साथ क्या उपयुक्त बदलाव कर सकते हैं। बाहरी हस्तक्षेप से चीजें नहीं बदलती हैं।

’ हालांकि, प्रधानमंत्री ने किसी खास बदलाव का जिक्र नहीं किया, पर उन्होंने कहा कि अतीत में पत्रकारों के पास सुधार करने के लिए पर्याप्त समय होता था लेकिन इसके ठीक उलट अब तेज गति वाली इलेक्ट्रानिक एवं डिजिटल मीडिया के चलते ऐसी गुंजाइश नहीं है।

उन्होंने 1999 में कंधार विमान अपहरण का जिक्र करते हुए कहा कि इंडियन एयरलाइंस की उड़ान में सवार यात्रियों के परिवारों की रोष भरी प्रतिक्रिया की चैनलों द्वारा चौबीस घंटों की रिपोर्टिंग ने आतंकवादियों के हौसले बुलंद किए

। उन्हें लगा कि वे इस तरह के जन दबाव से भारत सरकार से कुछ भी हासिल कर सकते हैं। मोदी ने कहा कि इस प्रकरण ने मीडिया में स्व नियमन शुरू कराया जो बाद में ऐसी घटनाओं की कवरेज के लिए नियमों के रूप में सामने आया।

स्व नियमन के बारे में पीएम मोदी ने एक उपमा देते हुए कहा कि एक मां अपने बच्चे को थोड़ा कम खाने या नहीं खाने को कहती है। बच्चा अपनी मां की सुनेगा लेकिन बाहरी व्यक्ति की नहीं सुनेगा।

मीडिया के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इसका अंदर से नियमन होना चाहिए और समाज के हित में चीजें परिवार के अंदर ही सुलझाई जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारों को दखल देने के इरादे से कदम नहीं बढ़ाना चाहिए।

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