दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा दी गई प्रजेंटेशन के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने कड़ा विरोध जताया है। उनका आरोप है कि वक्फ बोर्ड के प्रशासक ने बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के प्रजेंटेशन में बदलाव कर दिए, और इस महत्वपूर्ण जानकारी को भी दिल्ली सरकार से छिपाया गया। सांसदों का कहना है कि यह कदम पारदर्शिता की कमी को दर्शाता है और इसे अस्वीकार्य मानते हैं।
सोमवार को वक्फ बोर्ड के संबंध में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की मीटिंग फिर से हंगामेदार रही। पिछले सप्ताह टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी पर हुए हमले के बाद, जब उन्होंने मीटिंग के दौरान एक बोतल फोड़ दी थी, इस बार भी विपक्षी सांसदों ने कड़ा विरोध जताया।
विपक्षी सांसदों का आरोप है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के प्रशासक अश्विनी कुमार ने बिना दिल्ली सरकार की अनुमति के प्रजेंटेशन में बदलाव किए हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री आतिशी से कोई पूछताछ नहीं की, जिससे सांसदों में नाराजगी देखी गई। हंगामे के चलते कई सांसद, जिनमें संजय सिंह, डीएमके के मोहम्मद अब्दुल्ला, कांग्रेस के नासिर हुसैन और मोहम्मद जावेद शामिल थे, मीटिंग से बाहर चले गए।
जेपीसी की अध्यक्षता भाजपा के सांसद जगदंबिका पाल कर रहे थे, जिन्हें जेपीसी का चेयरमैन बनाया गया है। मीटिंग में दिल्ली वक्फ बोर्ड के अलावा हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। इसके साथ ही, कई सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों को भी अपनी राय प्रस्तुत करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
गौरतलब है कि 22 अक्टूबर को भी वक्फ बोर्ड पर जेपीसी की मीटिंग में हंगामा हुआ था। उस दिन भाजपा सांसद अभिजीत गांगुली और टीएमसी के कल्याण बनर्जी के बीच तीखी बहस हुई थी, जिसके दौरान कल्याण बनर्जी ने जेपीसी के चेयरमैन की तरफ एक बोतल फेंकी, जिससे उन्हें चोट आई थी। इसके बाद, उन्हें आगामी मीटिंग से बाहर रखने का निर्णय लिया गया था।
इस मामले में वक्फ बिल को संसद में पेश किया गया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण इसे अब संसदीय समिति के समक्ष ट्रांसफर किया गया है। अब इस बिल पर विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों के विचारों को सुना जा रहा है।
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