उत्तराखंड में मौसम भले ही सर्द हो, लेकिन कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की बेबाकी ने सियासी फिजां में गर्माहट घोल दी है। सोमवार को देहरादून में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ की और कहा कि राहुल का संयम और समय सबसे बड़ा हथियार संबंधी बयान उनके मन को छू गया। यही नहीं, सियासत में 28 साल से मंत्री पद से आगे न बढ़ पाने की पीड़ा उनकी जुबां पर छलकी तो यह भी कह गए कि अब वह किसी की परवाह किए बगैर आत्मसंतुष्टि को काम करेंगे। वह यहीं नहीं रुके और बोले, पिछले 18 साल में राज्य का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। उन्होंने यह कहने में भी गुरेज नहीं किया कि कई बार सच बोलने पर वह मुसीबत में फंस जाते हैं। हरक सिंह के तरकश से निकले इन शब्दबाणों के सियासी हलकों में कई निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।
लंबे समय से चुप-चुप से चल रहे कैबिनेट मंत्री डॉ. रावत सोमवार को कर्मचारियों के एक कार्यक्रम में पूरी रौ में दिखे। उन्होंने अपने अब तक के सियासी सफर से लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष पर भी बेबाकी से राय जाहिर की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार में रहने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान कि छोटे लोगों के लिए बड़ा काम करना है, उनके मन को छू गया था।
अब भाजपा में रहते हुए कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का संयम और समय सबसे बड़ा हथियार संबंधी बयान उनके मन को भा गया। अब राहुल कुछ हद तक समझदार हो गए हैं। कांग्रेसियों को राहुल से सीख लेनी चाहिए। हालांकि, यह भी कहा कि प्रदेश में कांग्रेस वेंटिलेटर पर है और कितना भी बड़ा सर्जन उसे पुनर्जीवन नहीं दे सकता।
मैं तो 28 साल से मंत्री ही हूं
डा.रावत ने खुद का प्रमोशन न होने का दर्द भी बयां किया। बोले, प्रदेश में पुलिस सिपाही चार प्रमोशन पाकर दारोगा बन गया, लेकिन मैं 1991 से कल्याण सिंह की सरकार से अब तक सिर्फ मंत्री ही हूं। अब लोग कहने लगे कि मंत्री रहते हुए क्या विरक्ति नहीं आ रही। उन्होंने कहा कि मेरे पास खोने के लिए कुछ नहीं है। अब आत्मसंतुष्टि के लिए काम करेंगे।
यह नेताओं व अफसरों की नाकामी
डा.रावत ने 18 साल बाद भी राज्य का सही मायने में विकास न होने पर चिंता जताई और कहा कि यह नेताओं और अफसरों की नाकामी है। प्रदेश की नींव का ढांचा ऊपर से बड़ा और नीचे से छोटा कर दिया है। मैं सच कहता हूं तो कई बार मुसीबत में फंस जाता, लेकिन अब मुझे इसकी परवाह नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अफसरों की फौज तो खड़ी कर दी गई है, मगर धरातल पर काम करने वालों की संख्या संकुचित हो गई है।
अपने लिए जायज, दूसरों के लिए जेल
मंत्रियों विधायकों के वेतनभत्तों का जिक्र किए बगैर उन्होंने बेबाकी से कहा कि जब हमें अपने लिए करना होता तो सब कुछ जायज। नियम-कानून सब टूट जाते, मगर जब छोटे कर्मचारियों की बारी आती तो कलम डगमगा जाती। यदि नीयत साफ हो तो डरने वाली कोई बात नहीं होनी चाहिए। डॉ.रावत ने कहा कि वह अपने अधिकारियों-कर्मचारियों से कहते हैं कि जनहित और विकास के मामले में जहां हाथ कांपता है, वह पत्रावली मेरे पास भेज दो मैं निर्णय लूंगा। जेल जाऊंगा तो मैं। यह निर्णय पार्टी को लेना है पौड़ी लोस सीट से दावेदारी के संबंध में उन्होंने कहा कि यह निर्णय पार्टी को करना है। पार्टी का आदेश होगा तो पालन किया जाएगा।