Wednesday , February 19 2025
भदोही प्रिंसिपल योगेंद्र बहादुर की हत्या, अजय बहादुर सिंह की हत्या का मामला, सौरभ सिंह और कलीम गिरफ्तार, भदोही में हत्या की वारदात,
अजय बहादुर सिंह की हत्या का मामला

27 साल बाद प्रतिशोध: भदोही में कॉलेज प्रिंसिपल की हत्या का खुला राज़

भदोही। 27 साल पहले एक पिता की हत्या का बदला लेने के लिए एक युवक ने कॉलेज के प्रिंसिपल योगेंद्र बहादुर सिंह की हत्या कर दी। इस युवक की कहानी उस वक्त शुरू होती है जब वह केवल 5 महीने का था, जब उसके पिता की हत्या हुई थी।

1997 में अजय बहादुर सिंह, जो तब इलाहाबाद के रहने वाले थे, को इंद्र बहादुर सिंह नेशनल इंटर कॉलेज में शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया था। प्रबंधन समिति ने उन्हें कार्यभार ग्रहण नहीं करने दिया, जिससे उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट के आदेश के बाद जब अजय कार्यभार ग्रहण करने जा रहे थे, तो उनकी हत्या कर दी गई। इस हत्या में योगेंद्र बहादुर सिंह और उनके भाई अनिल सिंह को आरोपी बनाया गया था, लेकिन बाद में उन्हें सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया।

सौरभ सिंह, जो अब 28 साल का है, ने बदला लेने की ठानी और कॉलेज के प्रिंसिपल की हत्या की साजिश रची। उसने तीन शूटरों को 5 लाख रुपये की सुपारी देकर हत्या करवाई। सौरभ ने बताया कि उसने कलीम समेत तीन शूटर्स को हायर किया, जिनमें से एक कलीम पहले से ही उसके परिचित था और उस पर 12 मुकदमे दर्ज थे।

21 अक्टूबर को, प्रिंसिपल अपने घर से कॉलेज जा रहे थे, तभी बाइक सवार दो शूटरों ने कार रोककर अंधाधुंध फायरिंग की, जिससे प्रिंसिपल की मौके पर ही मौत हो गई। इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कलीम और सौरभ को गिरफ्तार किया।

पुलिस ने 80 किमी में 200 CCTV फुटेज खंगाले, जिससे एक शूटर की पहचान की गई। इसके बाद, सौरभ तक पहुंचना आसान हो गया। इस पूरी घटना ने न केवल भदोही बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश में हलचल मचा दी है।

इस मामले ने यह सवाल खड़ा किया है कि क्या समाज में बदले की भावना इतनी गहरी हो सकती है कि एक व्यक्ति 27 साल बाद भी अपने पिता के हत्यारे के खिलाफ ऐसा कदम उठाने के लिए प्रेरित हो सकता है। प्रिंसिपल की हत्या ने यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या कानून हमेशा सही न्याय दिला पाता है।

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