गोतस्करी के शक में मारे गए रकबर खान की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि रकगर की मौत पुलिस हिरासत में नहीं हुई बल्कि भीड़ की पिटाई से हुई थी. रिपोर्ट में सामने आया है कि रकबर की सभी चोट पोस्टमॉर्टम करने से 12 घंटे पहले की हैं और तब रकबर को पुलिस ने हिरासत में नहीं लिया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, रकबर का पोस्टमॉर्टम दिन में 12:44 पर हुआ. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में सामने आया कि रकबर को लगी सभी चोट 12 घंटे पुरानी है. मतलब रात के 12 बजे के करीब की. लेकिन पुलिस के पास गोतस्कर पकड़े जाने का पहला फोन 12:41 पर आया था. यानी रकबर की मौत भीड़ की पिटाई से हुई है.
इससे पहले भी पोस्टमॉर्टम में खुलासा हुआ था कि रकबर के एक हाथ और एक पैर की हड्डी टूटी हुई थी. रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टरों का कहना है कि चोट के बाद अंदरूनी रक्तस्त्राव हुआ होगा.
रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि पिटाई से रकबर खान की पसलियां भी दो जगह से टूटी हुई थी. पोस्टमॉर्टम करने वाली टीम में डॉक्टर राजीव कुमार गुप्ता, डॉक्टर अमित मित्तल और डॉक्टर संजय गुप्ता शामिल थे. रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि रकबर के शरीर पर 12 जगह चोट के निशान थे.
डॉक्टरों का कहना था कि रकबर को अंदरूनी गंभीर चोट थीं, जिसके चलते शरीर के अंदर रक्तस्त्राव हुआ होगा. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसी हालत में कई बार सदमे से भी जान जा सकती है.
जांच टीम को सौंपी रिपोर्ट
ये पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट केस की जांच टीम को सौंप दी गई है. पुलिस का कहना है कि घटना स्थल पर कराई गई फॉरेंसिक रिपोर्ट भी जल्दी मांगी गई है. गौरतलब है कि घटना स्थल पर कीचड़ में संघर्ष के निशान हैं.
इस बीच भीड़ से बचकर भागने वाले रकबर खान के साथी असलम ने कहा है कि भीड़ ने पहले उन पर फायरिंग कर उन्हें रोका था. इसके बाद रकबर की पिटाई की गई.
क्या है मामला?
21 जुलाई की रात ललावंडी गांव में गोतस्करी के शक में भीड ने कोलगांव हरियाणा निवासी रकबर को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया था. मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस रकबर और दोनों गायों को रामगढ थाने ले आई. रात करीब साढ़े तीन बजे दोनों गायों को थाने से सात किलोमीटर दूर सुधासागर गोशाला में छुड़वाया गया. जबकि घायल रकबर की मौत हो गई.
इस मामले में दर्ज एफआईआर में पुलिस ने बताया कि रकबर और उसका साथी बड़ौदामेव के लाडपुर से दुधारू गाय खरीदकर ललावंडी के रास्ते से कोलगांव लेकर जा रहे थे. इस मामले में जब लाडपुर के मल्ला और सुनने खां के परिजनों से बातचीत की तो, उन्होंने कहा कि उन्होंने कोई गाय नहीं बेची है.