चुनावी साल में बीजेपी एससी-एसटी एक्ट के भंवर में फंस गयी है. सबसे बड़ी मुश्किल अपने ही बड़े आयोजनों में भीड़ इकट्ठा करने की है. सवर्ण समाज के लोगों ने राजनीतिक पार्टियों के कार्यक्रम के बहिष्कार का फैसला किया है और बीजेपी की यही मुश्किल है.
बीजेपी का पहले ओबीसी महाकुंभ और फिर कार्यकर्ता महाकुंभ. आने वाले दिनों में बीजेपी के यही दो बड़े कार्यक्रम हैं. इनकी तैयारी ने बीजेपी की पेशानी पर बल ला दिए हैं. कार्यक्रम सफल हो और भीड़ भी कम ना हो लिहाजा बीजेपी दफ्तर में बैठकों पर बैठकों का दौर चल रहा है. प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह तो जिलाध्यक्षों से लेकर जिला महामंत्रियों तक से फोन पर कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं.
बीजेपी को डर है अगर एससी एसटी एक्ट को लेकर सवर्णों की नाराज़गी बनी रही लोगों ने इन दो आयोजनों से दूरी बनाई तो फिर चुनावी साल में ये बड़ी किरकिरी साबित हो सकती है. लिहाजा आयोजन हो और भीड़ भी ज़्यादा आए, इसके लिए मंत्रियों से लेकर बड़े पदाधिकारी तक सब एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं.
बीजेपी का ओबीसी महाकुंभ पहले 10 सितंबर को होना था. पहले सवर्ण आंदोलन और फिर कांग्रेस के आंदोलन के कारण इसे टालना पड़ा. अब ये माना जा रहा है कि ओबीसी महाकुंभ 18 सितंबर को सतना में हो सकता है. उसके बाद भोपाल में 25 सितंबर को कार्यकर्ता महाकुंभ है. दोनों आयोजनों से किसी भी आंदोलन का साया दूर रखना फिलहाल बड़ी चुनौती है.
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