लखनऊ। उत्तर प्रदेश में दलित परिवार की सुरक्षा के लिए चाहे जितने दावे किए जाते हों लेकिन नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के वर्ष 2010 से 2014 तक के आंकड़े बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के दलित परिवारों की सुरक्षा में सबसे ज्यादा सेंध है। यह वर्ष वही है, जब प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी और समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार ने प्रदेश में कार्य शुरू कर दिया था। आंकड़ों की माने तो उन वर्षो में यूपी में 8075 आपराधिक मामले दलित परिवारों पर हुये। दलित परिवार के लोगों की 245 हत्यायें और 383 अपहरणों के मामले प्रकाश में आये। वहीं रेप व प्रयास के मामले तीन सौ से ज्यादा दर्ज किये गये। उत्पीड़न के भी 254 मामलें दर्ज हुये। इसके साथ ही दलित बस्ती को उजाड़ने के लिये उत्तर प्रदेश में 342 मामले प्रकाश में आये।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलित उत्पीड़न पर कई बार आवाज बुलन्द की है और वर्तमान अखिलेश सरकार को घेरने का प्रयास किया है। इसके बावजूद आंकड़े उनके समय की स्थिति को स्पष्ट करते है, जब मायावती के मुख्यमंत्रित्व काल में भी दलित परिवार पूर्णरूप से सुरक्षित नही थे। वहीं वर्तमान प्रदेश सरकार में तो प्रत्येक दो माह में आंकड़ो में उछाल आता जा रहा है।
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