
लखनऊ संवाददाता के अनुसार दो दिन पूछताछ करने के बाद एटीएस और जीआरपी के अधिकारी मोतिहारी से लखनऊ लौट आए हैं। पूछताछ में मोती पासवान ने बताया कि बृजकिशोर गिरि सभी सात लोगों को लीड कर रहा था। गिरि को पिछले दिनों नेपाल में एक हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के समय हुई मुठभेड़ में बृजकिशोर को गोली भी लगी थी जिसकी वजह से वह घायल हो गया था। बृज किशोर का इलाज काठमांडू के एक हास्पिटल में चल रहा है। मोती पासवान दो अन्य युवकों को भी जानता है जिसका नाम राकेश यादव और गजेंद्र शर्मा है। पुलिस इनकी भी तलाश कर रही है।
वहीं कानपुर संवाददाता के अनुसार पुखरायां रेल हादसे के समय बृजकिशोर गिरी के दो खास गुर्गों राजू पटेल और जुबैर अहमद की मौजूदगी शहर में थी। मोतिहारी (बिहार) पुलिस से कानपुर के एक पुलिस अफसर को ऐसे सबूत और बातचीत की रिकार्डिंग मिली है। सूत्रों की मानें तो रिकार्डिंग में बृजकिशोर गिरी, राजू पटेल और जुबैर अहमद से कह रहा है कि तुम लोगों को पटरी ब्लास्ट करने को कहा गया था और उखाड़कर चले आए। अब तुम लोगों को पैसे वापस करने होंगे। इस रिकार्डिंग से स्पष्ट है कि पटरी ब्लास्ट नहीं की गई।
अब कौन सही है कौन गलत, ये आगे की जांच से ही तय हो सकेगा। पूछताछ करने वालों में एटीएस के आईजी असीम अरुण के अलावा रेलवे पुलिस के आईजी एलवी एंटनी देवकुमार और एटीएस के डिप्टी एसपी मनीष सोनकर भी शामिल थे।
– ऐसे विस्फोटक की जांच करने की विशेषज्ञता लोकल पुलिस और रेलवे के पास नहीं है या विस्फोटक के बिंदु को बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया गया।
– गणतंत्र दिवस से पहले गड़बड़ी के इनपुट दिए गए थे तो भी जांच में आतंकी साजिश के बिंदुओं को शामिल नहीं किया गया क्या।
– विस्फोटक की बात कहकर कहीं आरोपी जांच एजेंसियों को उलझा तो नहीं रहे।
एटीएस के आईजी असीम अरुण ने कहा कि मोती पासवान से जो जानकारी मिली है उसका फारेंसिक परीक्षण, रेल विभाग के परीक्षण और उसकी सीडीआर का विश्लेषण पुलिस करेगी। एसपी कानपुर देहात को दोबारा घटनास्थल की जांच के लिए कहा गया है और यह पता करने केलिए कहा गया है, कि क्या वहां पर किसी भी प्रकार के विस्फोटक होने की पुष्टि होती है या नहीं।
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