आगरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि कुटुम्ब को आधार बनाकर संघर्ष करें। शिवाजी ने कुटुम्ब को आधार बनाकर संघर्ष किया था और यही वजह थी कि वे संस्कारवानों की फौज खड़ी कर सके।
आगरा में नवदम्पतियों के एक कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि शिवाजी की भांति कुटुम्ब को आधार बनाकर संघर्ष किया जाना चाहिए, तभी संस्कारवानों की फौज खड़ी हो सकेगी। एक बच्चे को यह सिखाने की जिम्मेदारी परिवार की होनी चाहिए कि वह दूसरों के लिये कैसे जिये। उन्होंने कहा कि पश्चिम में बाजार का भाव समाज को प्रभावित करता है। भारतीय समाज में जरूरतमंद की आवश्कताओं को पूरा करने की सीख मिलती है। उस बाजार भाव का कोई मतलब नहीं है, जहां आत्मीयता, अनुशासन, पूर्वजों की दी गयी सीख को किनारे कर दिया जाए। हमें पूर्वजों की दी हुई सीख से ही आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा कि देश को दिशा देने के लिए कुटुम्ब को मजबूत करना होगा और बच्चों को संस्कारों की शिक्षा देनी पड़ेगी। तभी देश को आगे बढ़ाने में नवदम्पतियों को सहयोग पूरा होगा। अपनी पहचान देश से होनी चाहिये। नवदम्पतियों को कुटुम्ब का महत्व बताते हुये श्री भागवत ने कहा कि मूल्यों के आधार पर राष्ट्र गौरव का इतिहास बनता है। इसके लिये संस्कार की जरूरत है। संस्कार का रोपण कुटुम्ब में होता है। नवदम्पति इसका ख्याल रखे और पश्चिम की अंधानुकरण को अपनाने से बचे। श्री भागवत रविवार को आगरा कालेज परिसर में नव् दंपत्ति सम्मेलन में आये नये जोड़ो को संबोधित कर रहे थे।