लखनऊ। सरकार ने गोमती रीवर फ्रंट यानी गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना की गुणवत्ता, परियोजना कार्यों में देरी तथा धनराशि अनियमित रूप से हुये खर्च की जांच करने के लिए उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह की अध्यक्षता में न्यायिक जांच किये जाने को एक समिति का गठन कर दिया है।
गठित समिति में रिवराइन इंजीनियरिंग आईआईटी बीएचयू के सेवानिवृत्त प्रोफेसर यूके चौधरी एवं आईआईएम लखनऊ के वित्त संकाय के प्रोफेसर एके गर्ग को सदस्य नामित किया गया है। गठित समिति अपनी जांच आख्या 45 दिन में प्रस्तुत करेगी।
मुख्य सचिव राहुल भटनागर ने न्यायिक जांच किये जाने के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित किये जाने के अधिसूचना/आदेश जारी कर दिये हैं। गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के लिए पहले 656 करोड़ रुपये की धनराशि अनुमोदित की गयी थी, जो बाद में पुनरीक्षित होकर 1513 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गयी थी।
पुनरीक्षित लागत 1513 करोड़ रुपये में से अब तक 95 प्रतिशत धनराशि व्यय हो जाने के बावजूद भी परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य ही पूर्ण हुआ है। इसके अतिरिक्त गोमती नदी के जल को प्रदूषणमुक्त करने के स्थान पर अनेक गैर जरूरी कार्यों पर अत्यधिक धनराशि खर्च की गयी है तथा इन कार्यों को करने के लिये निर्धारित प्रक्रिया का पालन न किये जाने की शिकायतें प्राप्त हुई हैं।
सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति द्वारा गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना के विभिन्न अवयवों की लागत का सत्यापन, परियोजना के क्रियान्वयन में विलम्ब के कारण लागत राशि के लगभग 95 प्रतिशत खर्च हो जाने के उपरान्त भी मात्र 65 प्रतिशत कार्य होने के लिये जिम्मेदारी का निर्धारण, पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से योजना की उपयुक्तता, स्वीकृत मदों के विरुद्ध नियमानुसार भुगतान की स्थिति तथा परियोजना के क्रियान्वयन में बरती गयी वित्तीय अनियमितताओं की स्थिति का जांच कर अपनी जांच आख्या 45 दिन में प्रस्तुत करेगी।
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