नई दिल्ली। मुंबई की हाजी अली की दरगाह में महिलाओं के प्रवेश की इजाजत देने के मामले में मुबंई हाइकोर्ट के फैसले को लेकर दो मुस्लिम धर्मगुरुओं ने राय जाहिर कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। बता दें कि इस मामले में उत्तर प्रदेश के बरेली शहर की दो प्रमुख दरगाह और खानकाह के अलग अलग मत सामने आए हैं। सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के मरकज दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन मौलाना अहसान रजा कादरी ने साफ़ कहा कि शरीयत महिलाओं को दरगाह पर हाजिरी की इजाजत नहीं देती। उन्होने साफ़ कर दिया कि वे मुंबई हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस जाने पर अपना वकील भी बहस के लिए भेजेंगे। उधर, खानकाह नियाजिया ने महिलाओं के दरगाह या खानकाह जाने को इस्लाम के मुताबिक ठीक बताया है।दरगाह आला हजरत के सज्जादानशीन का कहना है कि शरीयत महिलाओं को दरगाह आने की इजाजत नहीं देती। इसके लिए आला हजरत ने फतवा भी जारी किया है। महिलाओं की हाजिरी को नाजायज करार दिया है। आला हजरत ने इस पर किताब भी लिखी है, जिसमें दरगाह आने से रोकने की वजहें भी साफ की हैं। दरगाह पर तीन बड़े उर्स होते हैं। तीनों के पोस्टर में महिलाओं से नहीं आने की अपील की जाती है। उसका असर भी होता है। इस सिलसिले में अल्लाह के रसूल की हदीस भी है। सज्जादानशीन कहते हैं कि इस्लाम दुष्कर्म को ही जुर्म नहीं मानता बल्कि उसके रास्तों को भी बंद करता है। पर्दा और सार्वजनिक स्थलों पर महिलाओं का जाना सही नहीं है।