कानपुर। पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार के दो वर्ष बीत गये लेकिन अभी तक कश्मीर में विस्थापित पण्डितों को बसाया नहीं गया। उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में भाजपा ने ब्राम्हण सामाज के लिए जो वादे किए थे, वह सब हवा-हवाई साबित हुए। वह रविवार को कानपुर में आयोजित ब्राम्हण सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
जितिन प्रसाद ने कहा कि जब भी मैं दिल्ली में बसे कश्मीरी पंडितों से मिलता हूं तो वह यही कहते हैं कि प्रसाद जी हमारे दिन कब अच्छे आएंगे, अपने घरों में हम कब तक जाएंगे। उनकी पीड़ा सुनने के बाद हमने कई बार पीएम को खत लिखा और कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में बसाए जाने का अनुरोध किया। कश्मीरी पंडितों के साथ सबसे ज्यादा भेदभाव महबूबा मुफ्ती के दल ने किया, उन्हीं के साथ मोदी जी सरकार चला रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही पंडितों को कश्मीर में नहीं बसाया गया तो ब्राम्हण सामाज सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन करेगा।
100 टिकट दें, उसे ही अपना मत दें-
1989 के बाद से राजनीतिक दल यूपी के ब्राम्हणों के साथ भेदभाव करते आ रहे हैं। ब्राम्हण वर्तमान में सड़कों पर रहने को विवश है। आगामी 2017 विधानसभा चुनाव में जो दल 100 सीटों पर ब्राम्हण उम्मीदवार उतारे, सीएम कंडीडेट का चेहरा ब्राम्हण दे, आप अपना मत उसी दल को दें। हजारों की संख्या में मौजूद ब्राम्हणों को संबोधित करते हुए जितिन प्रसाद ने कहा कि यूपी में सबसे ज्यादा ब्राम्हणों के साथ उत्पीड़न किया जा रहा है। ब्राम्हणों ने जब दलों पर विश्वास किया, अपना बहुमूल्य मत देकर सत्ता सौंपी, लेकिन यहां के नेताओं ने आपकी तरफ कभी नहीं देखा। कांग्रेस पार्टी ने यूपी सीएम के तौर ब्राम्हण कंडीटेड को उतारा है, जिससे ब्राम्हण समाज के लोगों में 27 साल बाद खुशी हमें आज सम्मेलन में एकजुट समाज के लोगों की आंखों में दिख रही है।
सपा व बसपा ने किया ब्राम्हणों का शोषण –
पूर्व मंत्री ने कहा कि यूपी में सबसे ज्यादा ब्राम्हणों के साथ सपा और बसपा ने शोषण किया है। मायावती को 14 फीसदी ब्राम्हणों ने यूपी की सत्ता सौंपी, लेकिन बहन जी ने उन पर सबसे ज्यादा फर्जी मुकदमें दर्ज करा दिए। ब्राम्हणों की जमीन उनसे छीन ली गई, जिसने विरोध किया उसे दलित एक्ट के तहत जेल भिजवा दिया गया। वहीं 2012 में ब्राम्हणों ने अखिलेश को सीएम बनाया, लेकिन साढ़े चार साल कार्यकाल के दौरान सिर्फ एक सामाज का ही विकास हुआ।
कांग्रेस ने दिए कई ब्राम्हण चेहरे-
आजादी के बाद से यूपी में कांग्रेस ही एक दल है, जिसने सबसे ज्यादा ब्राम्हण चेहरे सीएम पद के लिए उतारे। एनडी तिवारी यहां से कई बार सीएम रहे और उनके कार्यकाल के दौरान सबसे ज्यादा विकास ब्राम्हणों का हुआ। इसके बाद जनता दल, सपा, भाजपा और बसपा की सरकारें यूपी में रहीं, लेकिन किसी दल ने ब्राम्हण चेहरा कभी नहीं दिया। 2017 के चुनाव में हम यूपी के राजनीतिक दलों से मांग करते हैं कि अगर वह सच में ब्राम्हणों के उत्थान के लिए काम करना चाहते हैं तो पहले सीएम कंडीडेट ब्राम्हण दें।
बना गए राजनीतिक माहौल –
गैर राजनीतिक सम्मेलन में आए कांग्रेसी नेता इशारों-इशारों में राजनीतिक रंग दे गए। जिस प्रकार से उन्होंने भाजपा, सपा और बसपा को ब्राम्हण विरोधी बताया और जमकर दलों पर कटाक्ष किए, इससे विरोधी दल के ब्राम्हण नेता मंच से चले गए। कल्याणपुर भाजपा युवा मोर्चा के सचिव अजय अग्निहोत्री ने कहा कि कांग्रेस ने पूरे सम्मेलन को राजनीतिक बना दिया, जिसके चलते हमें काफी दुख हुआ। यह ब्राम्हणों का नहीं, बल्कि कांग्रेसियों का कार्यकर्ता सम्मेलन था। सम्मेलन के अंत में स्वतंत्रता सेनानी वयोवृद्धा मैनावती आर्या को समाज को ओर से सम्मानित किया गया।