लगभग ढाई साल बाद प्रदेश के निगम-बोर्ड के खाली पदों पर नियुक्ति की घोषणा हुई है. इसके बाद ऐसे नेता सक्रिय हो गये, जिन्हें लगता है कि एनडीए सरकार उन्हें काम के फल के रूप में कोई पद देगी. हालांकि ऐसे नेता खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. वह सिर्फ यही कह रहे हैं कि ये मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है. खाली पड़े निगम बोर्ड और 20 सूत्री कमेटियों में 400 लोगों का चयन होना है
माना जा रहा है कि निगम-बोर्ड में जगह देकर नेताओं की नाराजगी दूर की जाएगी. इतना ही नहीं चुनाव से पहले एनडीए नेताओं में जोश भरने की कोशिश की जाएगी.
16 सितंबर को जेडीयू राज्य कार्यकारिणी की बैठक में आए नेताओं से जब सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि वो दशहरा के बाद निगम बोर्ड और 20 सूत्री कमेटियों का फिर से गठन करने जा रहे हैं, इसिलए चिंतित होने की जरूरत नहीं है. हम सबका काम देख रहे हैं, काम के आधार पर सम्मान किया जायेगा. यह सुनकर बैठक में शामिल नेताओं के चेहरे खिल गए. महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं अंजुम आरा कहती हैं कि किन लोगों को जगह मिलेगी, ये तय करना नेता का काम है.
निगम-बोर्ड में विधायकों के हिसाब से प्रतिनिधित्व देने की बात तय हुई है. ऐसे में जेडीयू को सबसे ज्यादा पद मिलेंगे, क्योंकि गठबंधन में उसके सबसे ज्यादा विधायक हैं. इसके बाद बीजेपी और लोजपा का नंबर आएगा. जेडीयू और रालोसपा के बीच तल्खी की वजह से माना जा रहा है कि रालोसपा को प्रतिनिधित्व नहीं मिलेगा.
हर मुद्दे पर सरकार को घेरने वाले आरजेडी के नेता निगम बोर्ड के गठन के सवाल पर सधा जवाब दे रहे हैं. पूर्व मंत्री विजय प्रकाश से इस संबंध में सवाल किया गया, तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि चुनाव को देखते हुए ऐसा किया जा रहा होगा.
निगम बोर्ड के खाली पदों को भरने की कवायद लंबे समय से चल रही है. राज्य के 42 निगम-बोर्डों में सिर्फ कुछ में ही महिला और बाल संरक्षण अधिकार आयोग जैसे बोर्डों का गठन हुआ है. बाकी सभी में पद खाली पड़े हैं. इसको लेकर कई बार हाईकोर्ट की ओर से टिप्पणी भी की गयी है, लेकिन राजनीतिक तौर पर भरे जाने वाले इन पदों पर अभी तक सहमति नहीं बन पायी थी. सीएम के आश्वासन से ये उम्मीद बंधी है कि कुछ एनडीए नेताओं का फिर से राजनीतिक पुर्नवास हो जायेगा.
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