नई दिल्ली। चुनाव आयोग के अनुसार छह फीसदी से कम वोट मिलने और 11 सीटें न मिलने के वावजूद बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) राष्ट्रीय पार्टी बनी रहेंगी। दरअसल चुनाव आयोग ने फिलहाल अपना फैसला टाल दिया है और अब इन पार्टियों की राष्ट्रीय पहचान के बारे में निर्णय वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद किया जाएगा । मौजूदा नियमों के अनुसार इस पर फैसला सुनाया जाता तो बीएसपी, सीपीएम और एनसीपी जैसी तमाम पार्टियों का राष्ट्रीय मान्यता खत्म हो जाती। फिलहाल कांग्रेस और भाजपा के अलावा बीएसपी, सीपीएम और एनसीपी ही राष्ट्रीय पार्टी हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीएसपी को एक भी लोकसभा सीट नहीं मिली, एनसीपी को छह सीटें तो मिलीं, लेकिन वोट प्रतिशत 1.6 प्रतिशत हो गया। सीपीआई तो एक ही सीट जीत पाई, और उसका वोट एक फिसदी से भी कम रहा। इससे इन तमात पार्टियों की पहचान खतरे में है। चुनाव आयोग में कई पार्टियों ने अपना पक्ष रखा, जिसके बाद आयोग ने फैसला किया है कि अब राष्ट्रीय पार्टी के स्तर की समीक्षा हर दो चुनावों के बाद होगी। हालांकि मूल नियम जो हैं, वही बने रहेंगे।