यौन उत्पीड़न का आरोप लगने के बाद मेघालय के राज्यपाल पद से इस्तीफा देने वाले वी. षणमुगनाथन के बारे में पीड़िता ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. पीड़िता ने बताया कि राज्यपाल वी. षणमुगनाथन ने उसे खुद फोन कर इंटरव्यू के लिए बुलाया और निजी सहायक के रूप में नौकरी दी. बाद में उसे राजभवन में पीआरओ (जनसंपर्क अधिकारी) नियुक्त कर दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर पीड़िता ने बताया कि वी. षणमुगनाथन ने इंटरव्यू के बहाने उसे कई बार खुद से फोन कॉल किया. बाद में सचिव सहित तीन अन्य अधिकारियों ने उसका इंटरव्यू लिया.
सूत्रों का कहना है कि पीड़िता का नियुक्ति पत्र सात दिसंबर को जारी हुआ था. 21 दिसंबर को नौकरी ज्वाइन करने के दो दिन बाद ही वह छुट्टी पर चली गई थी. बताया जा रहा है कि मार्च 2016 में जिस उम्मीदवार को राज्यपाल का निजी सहायक नियुक्त किया गया था, उसे पांच महीने पहले दोबारा राजभवन में जनसंपर्क अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया.
राजभवन के दस्तावेज के मुताबिक पीड़िता को पहली बार सात मार्च 2016 को वी. षणमुगनाथन का निजी सहायक नियुक्त किया गया था. उस वक्त उसका वेतनमान प्रति महीने 6500-12,700 रुपए था. बाद में 18 अगस्त 2016 को जब उसे राजभवन के जनसंपर्क अधिकारी के रूप निश्चित मासिक वेतन 30,000 रुपए पर नियुक्त किया गया.
सूत्र बताते हैं कि पीआरओ की नौकरी के लिए पीड़िता का तीन बार इंटरव्यू हुआ. आठ दिसंबर 2016 को राज्यपाल ने अकेले में उसका इंटरव्यू लिया, जबकि नियुक्ति पत्र सात दिसंबर 2016 को ही जारी हो गया था.
सूत्रों के हवाले से इंटरव्यू प्रक्रिया की मुख्य बातें-:
– मेघालय राजभवन में जनसंपर्क अधिकारी की नौकरी के लिए सात नवंबर 2016 को 10 महिला और पांच पुरुषा उम्मीदवारों को बुलाया गया था. इन सभी का चयन उम्मीदवारों का चयन मुख्यमंत्री कार्यालय में 7 दिसंबर 2015 को इंटरव्यू के बाद चुना गया था.
– 7 नवंबर 2016 को सचिव और अवर सचिव ने राजभवन में उम्मीदवारों से बातचीत की थी.
– 28 नवंबर 2016 को सचिव ने पांच महिला और दो पुरुष उम्मीदवारों का इंटरव्यू सचिव, अवर सचिव और सूचना विभाग के निदेशक और पब्लिक रिलेशंस (डीआईपीआर) ने लिया.
-7 दिसंबर 2016 को सभी 7 उम्मीदवारों को एक बार फिर से इंटरव्यू के लिए बुलाया गया. इस बार राज्यपाल और सचिव सभी उम्मीदवारों से सुबह 10 बजे से 3.30 के बीच एक-एक कर मिले. सभी उम्मीदवारों को अलग-अलग विषयों पर लिखने को कहा गया था.
मालूम हो कि यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे मेघालय के राज्यपाल वी षण्मुगनाथन ने इस्तीफा दे दिया है. राजभवन के कर्मियों के एक समूह ने उन पर राज्यपाल के कार्यालय की गरिमा से ‘गंभीर समझौता’ करने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाए जाने की मांग की थी, जिसके बाद राज्यपाल ने इस्तीफा दिया.
इससे पहले मुख्यमंत्री मुकुल संगमा ने कहा था कि वह षण्मुगनाथन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. यहां राजभवन के करीब 100 कर्मियों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र लिखकर राज्यपाल को हटाने और राजभवन की गरिमा बहाल करने के लिए उनके हस्तक्षेप की मांग की थी. कर्मियों ने आरोप लगाया था कि षण्मुगनाथन ने राजभवन की गरिमा से ‘गंभीर समझौता’ किया है और उन्होंने इसे ‘युवतियों का क्लब’ बना दिया है.
उन्होंने कहा था कि यह एक ऐसा स्थान बन गया है जहां राज्यपाल के प्रत्यक्ष आदेश से युवतियां अपनी मर्जी से आती-जाती हैं. कई की पहुंच सीधे उनके शयन कक्ष तक है. मई 2015 में मेघालय के राज्यपाल के रूप में शपथ लेने वाले षण्मुगनाथन ने अरुणाचल प्रदेश में गणतंत्र दिवस समारोह में हिस्सा लिया था.
ज्योति प्रसाद राजखोवा को हटाए जाने के बाद पिछले साल नवंबर में उन्हें अरुणाचल प्रदेश का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था. इस बीच महिला कार्यकर्ताओं ने राज्यपाल को हटाने की मांग करते हुए यहां हस्ताक्षर अभियान शुरू किया था. नौकरी पाने की प्रत्याशी एक महिला ने भी राज्यपाल पर आरोप लगाया था कि वह जब राजभवन में साक्षात्कार देने आई थी तो राज्यपाल ने उसके साथ अनुचित व्यवहार किया था.