लखनऊ। हिन्दू महासभा के वकील हरिशंकर जैन का कहना है कि समझौते का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि जमीन रामलला विराजमान की है। जमीन देवता में सन्निहित होती है इसलिए देवता की जमीन का समझौता कोई व्यक्ति या संगठन नहीं कर सकता।
उनका कहना है कि पूर्व में भी कई बार समझौते के प्रयास हुए लेकिन सफल नहीं हुए। प्रधानमंत्री चंद्रशेखर व वीपी सिंह के कार्यकाल में भी वार्ता के दौर चले लेकिन समझौता नहीं हो पाया। हाईकोर्ट ने भी फैसले से पहले सुलह की बात कही थी पर सुलह हो न सकी।
इकबाल अंसारी
मामले में पक्षकार हासिम अंसारी के पुत्र इकबाल अंसारी के वकील एमआर शमशाद का कहना है कि किसी भी दीवानी मुकदमे में समझौते के जरिए कोर्ट के बाहर मामला सुलझाने का विकल्प हमेशा मौजूद रहता है। लेकिन अगर कहा जाए कि मस्जिद के लिए कहीं और जमीन ले ली जाए, तो इसे समझौता नहीं कहा जा सकता।
निर्मोही अखाड़ा
निर्मोही अखाड़ा के वकील सुशील जैन का कहना है कि सुब्रमण्यम स्वामी अयोध्या जन्मभूमि मामले में पक्षकार नहीं हैं और उन्होंने बिना किसी पक्षकार को सूचित किए, कोर्ट में केस मेंशन कर दिया है। जैन का कहना है कि उन्हें कोर्ट की टिप्पणी के बारे में कुछ नहीं मालूम और ऐसे में वे उस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देंगे।
जमीयते उलेमाए हिन्द
जमीयते उलेमाए हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी का कहना है कि अदालत के बाहर मामले को हल करने का सुप्रीम कोर्ट का सुझाव स्वीकार योग्य नहीं है। इससे पहले छह-सात बार अदालत के बाहर हल करने की कोशिश की जा चुकी है पर हर बार नाकाम हुई क्योंकि बाबरी मस्जिद आस्था और मिल्कियत का मामला है जिसे मुसलमान मजहबी हैसियत से किसी भी सूरत में अपने को अलग नहीं कर सकते। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, वो मंजूर होगा।
सभी भारतीयों की शिरकत से भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए। यह फैसला धर्म संसद तथा उन सभी पक्षों को करना है, जो इसे लेकर कोर्ट की शरण में गए हैं।
– दत्तात्रेय होसबोले
अयोध्या मसले को कोर्ट के बाहर सुलझाने की सुप्रीम कोर्ट की सलाह का स्वागत है। इस मामले से जुड़े सभी संबंधित पक्षों को इस मुद्दे पर आम सहमति बनाकर ही मामले को सुलझाना चाहिए।
– लालकृष्ण आडवाणी
अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा है, उसका हम स्वागत करते हैं। दोनों पक्षों को एक साथ बैठना चाहिए और इसका समाधान निकालना चाहिए। यूपी सरकार इस मामले में हरसंभव मदद के लिए तैयार है।
– योगी आदित्यनाथ
जहां रामलला हैं, वहां सोमनाथ जैसे भव्य मंदिर का निर्माण होगा। मुझे इस बात का भरोसा है कि मुस्लिम समाज सहयोग करेगा। ‘मैं मानती हूं कि यह मुद्दा कोर्ट से बाहर सुलझ सकता है।
– उमा भारती
यह कोर्ट की टिप्पणी है, उनका फैसला नहीं है, लेकिन अब कोर्ट के कहने के बाद रास्ता ज़रूर निकलेगा। सभी लोग मिलकर पहल करेंगे, और जब बातचीत शुरू होती है, तो रास्ते निकल ही आते हैं।
– विनय कटियार
मसला बातचीत से हल नहीं हो पाया, इसीलिए कोर्ट की शरण ली गई थी। सवाल यह है कि ज़मीन की मिल्कियत किसकी है, और चूंकि यह कानूनी मामला है, सो, यह कोर्ट को ही तय करना है।
– सीताराम येचुरी
राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी के लिए आस्था का नहीं, सियासी मामला है। कोर्ट का जो भी फैसला हो, स्वीकार किया जाना चाहिए या बातचीत के ज़रिये इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए।
– प्रमोद तिवारी
सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर खुद पहल करनी चाहिए, क्योंकि उत्तर प्रदेश के नव नियुक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किस रास्ते पर चले जाएंगे, यह हम सबके लिए चिंता का विषय है।
– दिग्विजय सिंह
हम सुप्रीम कोर्ट के कहे का सम्मान करते हैं और पर्सनल लॉ बोर्ड भी राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद के अदालती हल का पक्षधर रहा है। हम चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट खुद ही इसे हल कर दे।’
– खालिद रशीद फरंगी महली
हमारी पार्टी ने हमेशा कहा है कि राम मंदिर का मुद्दा संवैधानिक ढांचे के भीतर सहमति के माध्यम से ही हल होना चाहिए। केंद्र इस मसले में मध्यस्थता करने के लिए तैयार है।
– महेश शर्मा